Ministry of Coal: कोयला मंत्रालय ने कोयला खनन के प्रभाव को कम करने के लिए किये उपाय; जानिए

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Ministry of Coal: पर्यावरणीय स्थिरता (environmental sustainability) की प्रतिबद्धता की दिशा में, कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) के तहत कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) ने व्यापक वनीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक ठोस मिशन शुरू किया है।

कोयला/लिग्नाइट पीएसयू अपनी परिचालन खदानों में और उसके आसपास के क्षेत्रों में निरंतर सुधार और वनीकरण के माध्यम से कोयला खनन (coal mining) के प्रभाव को कम करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। पुनर्वास गतिविधियाँ अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई और अनुमोदित खदान बंद करने की योजनाओं के अनुसार की जा रही हैं, जिसमें प्रगतिशील और अंतिम खदान बंद करने की गतिविधियों के लिए विस्तृत प्रावधान शामिल हैं। कोयला/लिग्नाइट पीएसयू के चल रहे प्रयासों के परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2023-24 में 2400 हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले 23 अगस्त, 2023 तक कोयला खनन (coal mining) क्षेत्रों में और उसके आसपास 1907 हेक्टेयर भूमि के क्षेत्र में 35.17 लाख से अधिक देशी प्रजातियों के पौधे लगाए गए हैं। कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) के मार्गदर्शन में कोयला/लिग्नाइट पीएसयू ने वित्त वर्ष 2019-20 से पिछले 5 वर्षों के दौरान 217 लाख से अधिक देशी प्रजातियों का रोपण करके 10000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर वृक्षारोपण का एक मील का पत्थर हासिल किया है।

कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) का यह प्रयास राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (National Green India Mission) के साथ संरेखित है।

Ministry of Coal: कोयला मंत्रालय ने कोयला खनन के प्रभाव को कम करने के लिए किये उपाय; जानिए

यह प्रयास राष्ट्रीय हरित भारत मिशन

यह महत्वाकांक्षी पहल न केवल हरित आवरण को बढ़ाने और जैव विविधता के संरक्षण में योगदान देती है, बल्कि कार्बन सिंक के निर्माण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन शमन की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। कार्बन सिंक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और संग्रहीत करते हैं, जो जलवायु परिवर्तन (climate change) के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस (greenhouse gas) है। इस तरह के वृक्षारोपण प्रयासों से वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड स्तर को विनियमित करने, ग्लोबल वार्मिंग और इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी। ये सिंक अधिक संतुलित और टिकाऊ पर्यावरण में योगदान देकर जलवायु परिवर्तन (climate change) के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये प्रयास अतिरिक्त वन और वृक्ष आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के अतिरिक्त कार्बन सिंक के निर्माण के प्रति भारत की एनडीसी प्रतिबद्धता (India’s NDC commitment) और 2070 तक नेट-शून्य तक पहुंचने के भारत के दीर्घकालिक लक्ष्य का भी समर्थन करते हैं। कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) का यह प्रयास राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (National Green India Mission) के साथ संरेखित है।

 

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