Business News: हल्दीराम ब्रांड (Haldiram brand) से अब नमकीन, भुजिया और स्नैक्स की पहचान है। राजस्थान (Rajasthan) के बीकानेर (Bikaner) में एक दुकान से शुरू हुई इस कंपनी का रेवेन्यू आज 12 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। पिछले हफ्ते खबरें आई कि टाटा ग्रुप हल्दीराम में 51% शेयर खरीदेगा। हालांकि, कुछ घंटों बाद हल्दीराम ग्रुप ने साफ किया कि ऐसी कोई बातचीत उनकी तरफ से नहीं हुई है। इस वजह से कंपनी सुर्खियों में रही।
जगह राजस्थान का बीकानेर। मारवाड़ी परिवार से आने वाले भीखाराम अग्रवाल (Bhikharam Aggarwal) ने 1937 में यहां एक छोटी सी चाय-नाश्ते की दुकान खोली। भीखाराम (Bhikharam Aggarwal) के साथ उनके पोते गंगाबिसनजी अग्रवाल (Gangabisanji Aggarwal) भी दुकान जाते थे। घर में गंगाबिसनजी (Gangabisanji Aggarwal) को सब हल्दीराम कहते थे। इन्हीं के नाम पर दुकान का नाम भी हल्दीराम रख दिया गया। दुकान पर मिलने वाली भुजिया धीरे-धीरे लोगों की जुबान पर चढ़ने लगी। कुछ ही सालों में हल्दीराम भुजिया की पहचान बन गई। कहा जाता है कि जब हल्दीराम सिर्फ 11 साल के थे, तब से ही वो एक कंपनी खोलना चाहते थे।
1973 में हल्दीराम के पोते मनोहर लाल अग्रवाल (Manohar Lal Aggarwal) ने फैमिली बिजनेस (family business) जॉइन किया। उस समय तक पूरे देश में हल्दीराम ब्रांड की सिर्फ तीन दुकानें थीं। बीकानेर, कोलकाता और नागपुर में। मनोहर लाल (Manohar Lal Aggarwal) ने दिल्ली के चांदनी चौक में एक और दुकान खोली, लेकिन उनका रोल सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं था। उन्होंने हल्दीराम के प्रोडक्ट्स की पैकेजिंग और ऑल इंडिया उसके स्टोर खोलने पर काम किया।
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