Ministry of Coal: हमारे विद्युत क्षेत्र की आधारशिला के रूप में, कोयला (coal) अत्यंत आवश्यक बना हुआ है, यह हमारी प्राथमिक ऊर्जा (Energy) आवश्यकतओं में आधे से अधिक योगदान देता है और हमारे उद्योगों की रीढ़ के रूप में कार्य करता है।
पिछले दशक में, मुख्य रूप से कोयले (coal) से चलने वाली ताप विद्युत परियोजनाओं ने लगातार हमारे कुल बिजली उत्पादन का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्से का योगदान दिया है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने में सराहनीय प्रगति के बावजूद, बिजली की मांग में भारी वृद्धि के कारण ताप विद्युत पर निरंतर निर्भरता की आवश्यकता होती है। यह अनुमान है कि वर्ष 2030 तक इसकी हिस्सेदारी 55 प्रतिशत और 2047 तक 27 प्रतिशत होगी। व्यापक अध्ययनों के माध्यम से यह अनुमान लगाया गया है कि कोयले (coal) की मांग वर्ष 2030 तक 1462 मीट्रिक टन और वर्ष 2047 तक 1755 मीट्रिक टन तक पहुंचने की संभावना है।
कोयला क्षेत्र (coal sector) का आर्थिक महत्व ऊर्जा उत्पादन से भी अधिक है, जो विभिन्न पहलुओं में प्रकट दिखाई देता है:
- रेलवे माल ढुलाई में अकेले सबसे बड़ा योगदानकर्ता: रेलवे माल ढुलाई में कोयला (coal) सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जिसकी कुल माल ढुलाई आय में औसतन हिस्सेदारी लगभग 49 प्रतिशत है। रेलवे ने इससे अकेले वित्तीय वर्ष 2022-23 में 82,275 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया है। यह राजस्व योगदान कुल रेलवे आय का 33 प्रतिशत से अधिक हो गया है, जो भारत के परिवहन नेटवर्क पर इस क्षेत्र के पर्याप्त प्रभाव को दर्शाता है।
- सरकारी राजस्व: कोयला क्षेत्र (coal sector) रॉयल्टी, वस्तु और सेवाकर (GST) और अन्य लेवी के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों को सालाना 70,000 करोड़ रुपये रुपये से अधिक के राजस्व का योगदान देता है। ये फंड कोयला उत्पादक (coal producing) क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोयला उत्पादन (Coal production) केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लिए पर्याप्त राजस्व उत्पन्न करता है, वित्तीय वर्ष 2022-23 में रॉयल्टी संग्रह 23,184.86 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। इसके अतिरिक्त, जिला खनिज निधि, राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट और वस्तु एवं सेवाकर (GST) में योगदान से सरकारी वित्त व्यवस्था को मजबूती मिलती है, सामाजिक-आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास की पहल को समर्थन मिलता है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कोयला उत्पादक जिलों के विकास के लिए कुल 5430.25 करोड़ रुपये एकत्र और उपयोग किए गए हैं। इसके अलावा, वर्ष 2022-23 के दौरान एनएमईटी के लिए 364.38 करोड़ रुपये और इसी अवधि में वस्तु और सेवाकर (GST) के रूप में 6899.42 करोड़ रुपये एकत्र किए गए हैं।
- रोजगार: कोयला क्षेत्र (coal sector) रोजगार के अपार अवसर प्रदान करता है, विशेष रूप से पूर्वी राज्यों के कोयला उत्पादक जिलों में, कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) और उसकी सहायक कंपनियों में 239,210 से अधिक कर्मचारियों के साथ, संविदा कर्मियों और आउटसोर्सिंग संलग्नताओं के साथ, यह क्षेत्र हजारों परिवारों के लिए आजीविका प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, 65,000 से अधिक संविदा कर्मचारी कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) के साथ खनन कार्यों में लगे हुए हैं और 37,000 कर्मचारी सुरक्षा, ड्राइवर और हाउसकीपिंग के लिए आउटसोर्सिंग के माध्यम से लगे हुए हैं। औसतन 24,000 ट्रक कोयला परिवहन में लगे हुए हैं, जिससे 50,000 लोगों को सहायता मिलती है और 30,000 श्रमिक कैप्टिव/वाणिज्यिक कोयला खनन कंपनियों में लगे हुए हैं, जो रोजगार सृजन में योगदान दे रहे हैं।
- लाभांश भुगतान: कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) लगातार केंद्र सरकार को पर्याप्त लाभांश देता है और पिछले पांच वर्षों में सालाना औसतन 6,487 करोड़ रुपये का भुगतान करता है। वित्त वर्ष 2022-23 में 9,475.85 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण लाभांश भुगतान प्रदान किया गया है। यह इस क्षेत्र की वित्तीय स्थिरता और सरकारी राजस्व में योगदान को उजागर करता है।
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR): कोयला क्षेत्र (coal sector) के सार्वजनिक उपक्रम सीएसआर पहल को प्राथमिकता देते हैं, जिसका औसत वार्षिक व्यय पिछले पांच वर्षों में 608 करोड़ रुपये, विशेष रूप से, अकेले कोल इंडिया लिमिटेड ने औसतन 517 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। सीएसआर गतिविधियों के लिए सालाना 90 प्रतिशत से अधिक व्यय कोयला उत्पादक क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, जल आपूर्ति और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए सामाजिक-आर्थिक विकास पर किया गया है।
- पूंजीगत व्यय: पिछले पांच वर्षों में सालाना औसतन 18,255 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय में पर्याप्त निवेश ने कोयला क्षेत्र (coal sector) के सार्वजनिक उपक्रमों के भीतर बुनियादी ढांचे के विकास और संसाधन अनुकूलन की सुविधा प्रदान की है। यह पूंजी निवेश आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है और सतत विकास के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देता है।
जैसे-जैसे भारत वृद्धि और विकास के अपने पथ पर आगे बढ़ रहा है, कोयला क्षेत्र (coal sector) देश की प्रगति, आर्थिक समृद्धि, रोजगार सृजन और सामाजिक कल्याण की आधारशिला बना हुआ है।
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