Ministry of Coal: कोयला क्षेत्र (coal sector) में पारदर्शिता और समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) ने कोयला ब्लॉक (coal block) नीलामी (Auction) में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाने के उद्देश्य से सुधार प्रस्तुत किए हैं।
ये उपाय सरकार के आत्मनिर्भर भारत और आर्थिक आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण के अनुरूप, कोयला संसाधनों (coal resources) के आवंटन में दक्षता, जवाबदेही और स्थिरता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2014 में 204 कोयला ब्लॉकों (coal block) को रद्द करने के बाद से, कोयला मंत्रालय आर्थिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है, जिससे कोयला (Ministry of Coal) क्षेत्र में परिवर्तनकारी सुधार हो रहे हैं। कोयले (Coal) की मांग को पूरा करने और निष्पक्ष एवं पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से इन कोयला ब्लॉकों (coal block) को फिर से आवंटित करने के लिए, निजी क्षेत्र को कोयला ब्लॉकों (coal block) की नीलामी करने और विनिर्दिष्ट अंतिम-उपयोग संयंत्रों के लिए पीएसयू को कोयला ब्लॉक (coal block) आवंटित करने के लिए कोयला खान (विशेष उपबंध) अधिनियम, 2015 लागू किया गया था।
कोयला ब्लॉक (coal block) नीलामी (Auction) व्यवस्था ने न केवल कोयला उद्योग (coal industry) के भीतर व्यापक अवसरों को खोला है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में सतत विकास को भी बढ़ावा दिया है।
इस अभूतपूर्व नीति के माध्यम से, कंपनियों को प्रतिस्पर्धा और दक्षता को बढ़ावा देते हुए कोयला ब्लॉक (coal block) नीलामी (Auction) में सक्रिय रूप से भागीदारी करने का अधिकार दिया गया है। इन सुधारों से सकारात्मक परिणाम मिले हैं, कोयला ब्लॉक (coal block) नीलामी (Auction) में भाग लेने वाली निजी क्षेत्र की संस्थाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला है। साथ ही कोयला क्षेत्र में नए निवेश और नवीन प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है, जिससे मूल्य श्रृंखला में वृद्धि और विकास को बढ़ावा मिला है।
दो-चरणीय नीलामी व्यवस्था
पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कार्टेल गठन को रोकने के लिए, दो-चरणीय नीलामी व्यवस्था को अपनाया गया। अंतिम-उपयोग विनिर्दिष्ट व्यवस्था के तहत, निजी क्षेत्र को 24 कोयला खदानों की नीलामी की गई और 53 कोयला खदानों (coal block) को विनिर्दिष्ट अंतिम-उपयोग संयंत्रों के साथ सार्वजनिक उपक्रमों को आवंटित किया गया। इसके बाद, जून 2020 में, सरकार ने नीलामी पद्धति, निविदा शर्तों और नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं लचीलेपन को बढ़ाते हुए, अंतिम उपयोग प्रतिबंधों के बिना कोयला खदानों (coal block) की नीलामी शुरू की है।
निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों की भागीदारी
इतिहास में पहली बार वाणिज्यिक कोयला नीलामी (coal Auction) में निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों की भागीदारी देखी गई, जिसमें कोई तकनीकी या वित्तीय पात्रता मानदंड नहीं था, जिससे मौजूदा कंपनियों के साथ-साथ उन कंपनियों की भी व्यापक भागीदारी देखने को मिली, जिनके पास खनन क्षेत्र में किसी तरह का पूर्व अनुभव नहीं था। परिणामस्वरूप, कोयला खनन में कोई पूर्व अनुभव नहीं रखने वाले कई पहली बार बोली लगाने वाले सफल बोलीदाताओं के रूप में उभरे हैं। इसके अतिरिक्त, कई सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने भी भाग लिया और कोयला खदानें सुरक्षित कीं।
कुल 91 कोयला खदानों की नीलामी
वाणिज्यिक नीलामी के तहत कुल 91 कोयला खदानों (coal block) की नीलामी की गई है। जिनसे एक बार परिचालन शुरू होने पर 33,000 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक राजस्व और 3 लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। पारदर्शी और निष्पक्ष नीलामी प्रक्रिया को उद्योग जगत ने खूब सराहा है, इसकी शुरुआत के बाद से किसी तरह की शिकायत नहीं मिली है।
ये भी जानिए
- वित्तीय वर्ष 2015 से वित्तीय वर्ष 2020 तक कैप्टिव नीलामी के तहत कुल 24 कोयला खदानों (coal block) की नीलामी की गई, जबकि वित्तीय वर्ष 2020 से अब तक कुल 91 कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है, जो नीलामी प्रक्रिया में उद्योग के भरोसे को दर्शाता है।
- नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता को बनाए रखते हुए, कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) ने निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी को प्रेरित किया है, आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है, ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया है और कोयला उद्योग के भीतर सतत विकास को बढ़ावा दिया है।
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