Lok sabha election: पूर्व नेता प्रतिपक्ष और चुरहट विधायक अजय सिंह राहुल (Ajay Singh Rahul) ने सीधी लोकसभा क्षेत्र (Sidhi Lok Sabha constituency) के उद्योगों में स्थानीय लोगों को रोजगार (employment) न मिलने पर कड़ी आपत्ति जताई है।
देवसर, चितरंगी और सिंगरौली (Singrauli) विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल (Kamleshwar Patel) के समर्थन में आयोजित जन सभाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यहाँ के उद्योगों में यहीं के निवासियों को रोजगार नहीं मिल रहा है। इसी तरह यहाँ के उद्योगों से मिलने वाली डीएमएफ (DMF) की राशि को यहाँ के विकास के लिए खर्च किया जाना चाहिए, लेकिन उसे अन्यत्र खर्च किया जा रहा है। यदि स्थानीय स्तर पर डीएमएफ फंड (DMF Fund) का उपयोग होता तो सीधी लोकसभा क्षेत्र का विकास होता। यदि यहां के आम नागरिकों को लोकल कंम्पनियों द्वारा रोजगार (employment) दिया जाता तो यहाँ की बेरोजगारी दूर होती| स्थानीय लोगों को इससे वंचित करके सीधी लोकसभा क्षेत्र (Sidhi Lok Sabha constituency) के आम मतदाताओं के साथ छलावा किया जा रहा है। इसका जवाब आम मतदाता जरूर देगा।
बता दे कि अजय सिंह (Ajay Singh) ने कहा कि सरकार किसानों से खरीदे हुए गेहूं का वास्तविक भुगतान तत्काल सुनिश्चित करें।
सिंह ने कहा सीधी जिले (Sidhi) में भारी ओला वृष्टि से किसानों की फसल और घरों को हुई भारी क्षति को प्रशासन ने अभी तक गंभीरता से नहीं लिया है| जिन क्षेत्रो मे किसानो को भारी नुकसान हुआ है वहां तत्काल पटवारियों को भेजकर सर्वे क्यों नही कराया जा रहा है| सर्वे का काम जल्द पूर्ण किया जाए और पीड़ित किसानों को तत्काल अंतरिम आर्थिक सहायता देकर उन्हे राहत पहुंचाई जाए।
सरकार वादा करने के बाद भी कर रही आनाकानी
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री (PM Modi) किसान के लिए नये कानून लाये| किसानों ने इसका विरोध किया और लाखों किसान सड़कों पर उतरे। किसान चाहता है कि हमें फ्री गिफ्ट नहीं चाहिए, हम जो खून पसीने से उगाते हैं उसका सही दाम चाहिए। हमने अपने घोषणा पत्र में बताया है कि किसानों का कर्जा माफ होगा और उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा। नरेन्द्र मोदी किसानों के लिए जो फसल बीमा योजना लाये हैं उसका पूरा पैसा 16 कंपनियों को जाता है। हम नई योजना लायेंगे और आपकी बीमा राशि आपको तीस दिन के अंदर दिलवायेंगे| ये हमारे वादे है। उन्होंने आगे कहा कि मध्यप्रदेश के कई इलाके में कोहरे के कारण काले पड़े गेहूं को सरकारी एजेंसी ने रिजेक्ट कर दिया है। सरकारी समिति ने इसकी खरीदी कर ली, लेकिन केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम ने इसे अमानक माना है। ऐसे में किसानों का भुगतान रुक गया है! चूंकि, भुगतान की स्वीकृति निगम ही देता है, ऐसे में खरीदी के बावजूद किसानों को भुगतान कब, कितना और कैसे मिलेगा, यह मामला उलझ गया है। अब किसानों को दो आंख से देखने वाली, डबल इंजन की सरकार की एजेंसियां ही खुलेआम धोखाधड़ी पर उतर आई हैं। सरकार वादा करने के बाद भी किसानों के भुगतान में आनाकानी कर रही है।
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