छह माह में 300 से ज्यादा शिकायतें 1 जनवरी से 19 जून तक की अवधि में डायल 100 से जुड़ी 317 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन में दर्ज की गई हैं। इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें फोन न लगने, रिसीव न होने, वाहन देरी से पहुंचने और स्टाफ की मनमानी को लेकर हैं। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों से शिकायतें अधिक आई हैं, जहां समय पर रिस्पॉन्स नहीं मिल पाता और स्टाफ की संख्या भी सीमित रहती है।
कई फरियादियों ने बताया कि सूचना देने के बाद भी वाहन 30 से 60 मिनट तक नहीं पहुंचा। कुछ लोगों ने तो यह भी कहा कि कॉल करने पर स्टाफ सही से बात नहीं करता, जिससे स्थिति और अधिक बिगड़ जाती है।
शिकायतें तो दर्ज, लेकिन समाधान पर उठे सवाल डायल 100 सेवा से जुड़ी 317 में से 290 शिकायतों को संतोषजनक रूप से हल किया गया दिखाया गया है, यानी 91.48 प्रतिशत शिकायतें बंद कर दी गईं। इनमें से 5 शिकायतें फोर्स क्लोज (जबरन बंद) भी कर दी गईं। शेष कुछ शिकायतें अभी भी प्रक्रिया में हैं या समाधान की प्रतीक्षा में हैं।
स्तरवार निराकरण जानकारी के अनुसार 273 शिकायतों का समाधान एल-1 स्तर पर अधिकारी धर्मवीर सिंह द्वारा किया गया। वहीं 32 शिकायतें एल-2 स्तर तक पहुंचीं, जिनका निराकरण नीतू ठाकुर द्वारा किया गया। कुछ शिकायतें एल-3 स्तर तक भी पहुंचीं, जिनमें से कुछ अभी भी कार्रवाई की प्रतीक्षा में हैं।इधर, लोगों का कहना है कि डायल 100 जैसी आपातकालीन सेवा में देरी कई बार जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में ज़रूरत है कि सेवा की गुणवत्ता में सुधार हो, जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए, और शिकायतों पर वास्तविक व ठोस कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।पत्रिका व्यू
जिले में डायल 100 की वर्तमान स्थिति जनता के भरोसे पर खरा नहीं उतर रही। आंकड़ों में समाधान भले दिखाया गया हो, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही कहानी कहती है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस सेवा को केवल रिकॉर्ड सुधारने का माध्यम न बनाए, बल्कि इसे वास्तविक सुरक्षा तंत्र के रूप में स्थापित करे।
वर्जनडायल 100 सेवा आमजन की सुविधा को लेकर चल रही शासन की महत्तवाकांछी योजना है। जो विषय संज्ञान में लाया गया है, इस पर जिले की सभी डायल 100 टीम में लगे कर्मियों की जांच की जाएगी की कौन कबसे लगा है। इनमें परिवर्तन भी किया जाएगा। साथ ही इस विषय को लेकर डायल 100 प्रभारी से भी जबाव मंगाया जाएगा।
सुजीत सिंह भदौरिया, एएसपी दमोह