जनवरी 2024 में सीएम मोहन यादव ने की थी घोषणा
14 जनवरी 2024 को सीएम बनने के बाद पहली बार नागदा आए डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने नागदा के मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित कार्यक्रम से ग्रीनफील्ड हाइवे बनाने की घोषणा की थी। सरकार ने परियोजना के लिए मार्च 2024 में 5 हजार 17 करोड रु. स्वीकृत किए थे। इनमें 557 करोड़ सड़क विकास निगम व 4 हजार 460 करोड रुपए राज्य सरकार के बजट से खर्च किया जाना तय हुआ है। इसके बाद एमपीआरडीसी ने 8 अप्रेल तक निविदा आमंत्रित की थी। जिसमें 13 कंपनियों ने टेंडर डाले थे।
बंसल कंस्ट्रक्शन वर्क प्रॉ.लि. के नाम पर खुला था टेंडर
साथ ही सरकार ने 500 पेज की डीपीआर बनाकर भी भेजी थी। टेंडर बंसल कंस्ट्रक्शन वर्क प्रॉ.लि. के नाम पर खुला था। नियम और शर्तों के अनुसार संबंधित निर्माण एजेंसी को दो साल में काम पूरा करना था, मगर काम शुरू होने से पहले सरकार ने अचानक टेंडर रद्द कर दिया। सरकार ने यह टेंडर क्यों रद्द किया है, इसकी अधिकृत जानकारी एमपीआरडीसी के अधिकारियों के पास भी नहीं हैं।
उज्जैन से दिल्ली या मुंबई तक का सफर 10 घंटे में पूरा
हाइवे बनने के बाद उज्जैन से दिल्ली या मुंबई (Ujjain Connectivity with Delhi Mumbai) तक का सफर 10 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। सितंबर 2024 में उज्जैन के गांवों से जमीन अधिग्रहण शुरू हुआ था और मार्च 2025 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य था। मगर किसानों की तरफ से जमीन के बदले मुआवजा या रोड के डिजाइन को लेकर आई आपत्ति व तकनीकी कारणों के चलते काम रुक गया था।
49 से अधिक गांवों से गुजरेगा हाइवे
हाइवे 49 से अधिक गांवों से होकर गुजरेगा। इनमें नागदा, खाचरौद, उन्हेल तहसील के 30 गांव शामिल है। इनमें निंबोदिया खुर्द, पांसलोद, भाटीसुडा, आक्यानजीक, झिरनिया, पिपलिया डाबी, लसुडिया चुवंड, पिपलियाशीष, नवादा, कुंडला, नागझिरी, भाटखेडी, बंजारी, टुमनी, मीण, घिनौदा आदि गांव समिलित है। लोगों को हाइवे को लेकर काफी आशंका है।
वरिष्ठ कार्यालय से रद्द हुआ है टेंडर
वरिष्ठ कार्यालय से टेंडर रद्द (Tender Cancelled) हुआ है। इसका कारण फिलहाल स्पष्ट नहीं हो सका है। एसके मनवानी, महाप्रबंधक, एमपीआरडीसी, उज्जैन ये भी पढ़ें: देश के 10 राज्यों में चल रहा था चिटफंड कंपनी का नेटवर्क, अरबों रुपए की लूट का पर्दाफाश