वन ग्राम से राजस्व ग्राम में परिवर्तित होने से ग्रामीणों को बड़ी सहूलियत होगी। भू-अभिलेख और नक्शा का काम पूरा हो जाने के बाद यहां बिजली, पानी, सड़क आदि मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा रहीं हैं। अस्पताल, आंगनवाड़ी और स्कूल भवन बनाए जाएंगे। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में फसल बीमा योजना का लाभ भी मिलेगा। इन गांवों के राजस्व नक्शा बनाने का कार्य राजस्व विभाग तेजी से कर रहा है।
सीएम मोहन यादव- 792 गांवों को राजस्व ग्राम में बदला
सीएम मोहन यादव ने बताया कि प्रदेश के 925 वन ग्रामों में से 792 गांवों को राजस्व ग्राम में बदला जा चुका है। इन सभी वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने संबंधी गजट नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है। इसके साथ ही प्रदेश के संरक्षित क्षेत्र के 66 वन ग्रामों में कार्यवाही की जा रही है। राजस्व ग्राम बन जाने से इन गांवों में जमीन का बंटवारा और नामांतरण तथा फसलों की गिरदावरी हो सकेगी। ग्राम सभा के माध्यम से वनवासियों के कल्याण के लिए कार्य का अवसर भी मिलेगा।
प्रदेश में सबसे ज्यादा बैतूल जिले के 91 गांवोें को राजस्व ग्राम बनाया गया है। इसके अलावा डिंडौरी के 86, मंडला के 75, खरगौन के 65, बड़वानी के 64, खंडवा के 51, सीहोर के 49, छिंदवाड़ा के 48, बालाघाट के 46, हरदा के 42, बुरहानपुर के 37, सिवनी के 28, नर्मदापुरम के 24 वन ग्राम अब राजस्व ग्राम बन गए हैं। भोपाल जिले के 14, धार के 13, देवास के 12, सिंगरौली के 11, नरसिंहपुर के 10, रायसेन के 7, टीकमगढ़ व जबलपुर के 5-5, सागर के 4, विदिशा, राजगढ़, इंदौर, कटनी तथा गुना के 1-1 गांव राजस्व ग्राम बना दिए गए हैं। शेष वन ग्रामों के वीरान होने, विस्थापित होने या डूब क्षेत्र में होने से इन्हें राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने की जरूरत नहीं रही है।