इंदौर, 11 जुलाई (भाषा) भविष्य की जरूरतों के मुताबिक मध्यप्रदेश के शहरी विकास को रफ्तार देने के लिए शुक्रवार को इंदौर में आयोजित एक सम्मेलन में सरकारी और निजी क्षेत्रों की परियोजनाओं में कुल 30,000 करोड़ रुपये के निवेश की राह प्रशस्त हुई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि निवेशकों को लुभाने के प्रयासों के तहत राज्य सरकार ने ‘मध्यप्रदेश ग्रोथ कॉन्क्लेव’ नाम का यह सम्मेलन ‘अगला क्षितिज: भविष्य के शहरों का निर्माण’ के विषय पर आयोजित किया गया।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने संवाददाताओं को बताया कि सम्मेलन के दौरान 15 कंपनियों के कुल 12,473 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर चर्चा की कई जिनके अमल में आने पर 14,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा।
उन्होंने बताया कि सम्मेलन के दौरान सूबे के सर्वांगीण शहरी विकास के लिए 12,360 करोड़ रुपये की सौगात दी गई जिसमें आवास, जलप्रदाय, सीवरेज और बुनियादी ढांचे के विकास की सरकारी योजनाओं के लिए अंतरित धनराशि शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया,‘‘सम्मेलन के दौरान राज्य में कुल 30,000 करोड़ रुपये के निवेश की राह प्रशस्त हुई। इसमें सरकारी व निजी क्षेत्रों की नयी परियोजनाओं के करार, भूमिपूजन और अलग-अलग सरकारी योजनाओं का अनुदान वितरण तथा राशि का अंतरण शामिल है।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि सूबे में रियल एस्टेट क्षेत्र, खासकर एकीकृत टाउनशिप के विकास की उजली संभावनाएं हैं, लिहाजा ऐसी परियोजनाओं को जल्द से जल्द सभी सरकारी मंजूरियां दी जाएंगी।
यादव ने कहा कि राज्य को सुनियोजित शहरीकरण के अगले दौर में पहुंचाने के लिए प्रमुख शहरों के आस-पास के क्षेत्रों को मिलाकर मेट्रोपोलिटन प्राधिकरण बनाए जा रहे हैं।
सम्मेलन में प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने उद्योग जगत के लिए राज्य सरकार के लचीले रुख का इजहार किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के बनाए जाने वाले कानून रामायण और गीता जैसे पौराणिक ग्रंथों की तरह नहीं हैं जिन्हें कभी बदला नहीं जा सकता।
विजयवर्गीय ने कहा,‘‘अगर हमें भविष्य में अपने कानूनों में बदलाव की जरूरत महसूस हुई, तो हम इन्हें बदल देंगे।’’
मुख्यमंत्री यादव ने राज्य सरकार के एक दिवसीय सम्मेलन के दौरान होटल उद्योग, पर्यटन, रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों के प्रमुख निवेशकों से संवाद भी किया।
सम्मेलन में सरकारी और निजी क्षेत्रों के 1,500 से अधिक निवेशक, उद्योगपति और कॉर्पोरेट प्रतिनिधि शामिल हुए।
भाषा हर्ष जितेंद्र
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