इंदौर (मध्यप्रदेश), 31 जुलाई (भाषा) वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आठ साल पहले बरी हुए एक व्यक्ति ने इस प्रकरण में विशेष एनआईए अदालत के बृहस्पतिवार के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने सभी सात आरोपियों को
बरी किए जाने के फैसले के बाद कहा कि उन्हें न्याय मिल गया है और कांग्रेस की साजिश का पर्दाफाश हो गया है।
मालेगांव विस्फोट में छह लोगों की मौत होने के करीब 17 साल बाद अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को बृहस्पतिवार को बरी करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई ‘‘विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं हैं।’
इंदौर के कारोबारी श्याम साहू को मालेगांव विस्फोट मामले में अक्टूबर 2008 के दौरान गिरफ्तार किया गया था। उनका कहना है कि वह न्यायिक हिरासत के तहत तीन साल तक जेल में बंद रहे थे। विशेष एनआईए अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में 2017 में आरोपों से बरी कर दिया था।
साहू ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में आरोप लगाया कि साध्वी प्रज्ञा और उन जैसे अन्य लोगों को कांग्रेस की साजिश के तहत मालेगांव विस्फोट मामले में फंसाया गया था ताकि ‘हिंदू आतंकवाद’ और ‘भगवा आतंकवाद’ जैसे शब्द गढ़कर इस समुदाय को बदनाम किया जा सके और एक वर्ग को खुश किया जा सके।
उन्होंने विशेष एनआईए अदालत के बृहस्पतिवार के फैसले पर कहा,‘‘हमें न्याय मिल गया है। कांग्रेस की साजिश का पर्दाफाश हो गया है। कांग्रेस को अपनी साजिश के लिए माफी मांगनी चाहिए, लेकिन मुझे लगता नहीं कि वह ऐसा करेगी।’’
साहू ने कहा कि मालेगांव विस्फोट मामले में गिरफ्तारी के बाद उन्हें कई ‘यातनाएं’ झेलनी पड़ीं। उन्होंने कहा,‘‘जब मैं गिरफ्तारी के बाद जेल में बंद था, तब मेरे बड़े भाई मोहन साहू अदालत की पेशी के दौरान मेरी कानूनी मदद के लिए आए थे। तभी मेरी आंखों के सामने उन्हें दिल का दौरा पड़ा और करीब आधे घंटे बाद उनकी मौत हो गई थी। मैं उस वक्त उनकी जान बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर सका था।’’
साहू ने कहा,‘‘मेरे बड़े भाई के निधन से मेरे परिवार को हुए नुकसान की भरपाई कोई भी नहीं कर सकता।’’
भाषा हर्ष
संतोष
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