झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन को रविवार को एक बहु-कोर सरकारी स्वास्थ्य संस्थान के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आदिवासी संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद नजरबंद कर दिया गया। पुलिस ने इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक एहतियाती कदम बताया।
रांची शहर के पुलिस उपाधीक्षक केवी रमन ने कहा, ‘आदिवासी संगठनों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियाती कदम के तौर पर चंपई सोरेन को नजरबंद किया गया है।’ उन्होंने बताया कि विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है और महत्वपूर्ण स्थानों पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं।
पुलिस ने सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन और उनके समर्थकों को भी रांची जाते समय एक पुलिस थाने में हिरासत में लिया।
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सोरेन ने नजरबंदी को बताया अलोकतांत्रिक
नजरबंदी पर प्रतिक्रिया देते हुए, चंपई सोरेन ने इस कदम को अलोकतांत्रिक करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासियों और उनके विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने के कारण उन्हें नजरबंद करने का आदेश दिया गया है।
सोरेन ने मीडिया से कहा, ‘जब डीएसपी साहब यहां आए और कहा कि मुझे आज कहीं नहीं जाना है, यानी मुझे घर से बाहर नहीं निकलना है, तो मैं समझ गया कि वह मुझे कहीं नहीं जाने देंगे। अगर प्रशासन और सरकार ने कोई फैसला ले लिया है, तो हम उसका उल्लंघन नहीं करेंगे।’
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1,000 रुपये करोड़ की रिम्स-2 परियोजना पर विवाद
नजरबंदी का यह मामला रांची के नगरी इलाके में प्रस्तावित 1,000 रुपये करोड़ की रिम्स-2 अस्पताल परियोजना के लिए जमीन के कथित जबरन अधिग्रहण से जुड़ा है।
चंपई सोरेन ने इससे पहले आरोप लगाया था कि राज्य की झामुमो सरकार आदिवासियों की जमीन ‘हड़प’ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि जमीन मालिकों को न तो अधिग्रहण का कोई नोटिस दिया गया और न ही मुआवजा दिया गया।
सोरेन ने कहा, ‘सरकार जमीन का दस्तावेज दिखाने को भी तैयार नहीं है। मैं अस्पताल परियोजना के खिलाफ नहीं हूं। रांची में कई एकड़ बंजर या बेकार जमीन है जहां अस्पताल बनाया जा सकता है।’ उन्होंने आगे दावा किया कि इस अधिग्रहण में भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013, छोटानागपुर काश्तकारी (सीएनटी) अधिनियम, और ग्राम सभा नियमों का पालन नहीं किया गया है।
आदिवासी अधिकारों पर ‘हमले’ का आरोप
सोरेन ने इस विवाद को व्यापक आदिवासी अधिकारों के हनन से जोड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में आदिवासियों पर ‘हमले’ हो रहे हैं, उनकी जमीनें छीनी जा रही हैं, और अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘सूर्या हांसदा, जिन्होंने कई विधानसभा चुनाव लड़े और बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान कर रहे थे, को आदिवासी होने के कारण गिरफ़्तार कर लिया गया और मुठभेड़ में मार दिया गया।’ सोरेन ने 24 अगस्त को किसानों द्वारा आयोजित ‘हल जोतो, रोपा रोपो’ (खेत जोतो, पौधे लगाओ) विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का संकल्प लिया था, जिसकी पृष्ठभूमि में उनकी नजरबंदी हुई है।