Bihar Election: चुनाव की घोषणा के साथ भाजपा के नारों में दिखे नीतिश कुमार; नारों में नरेंद्र और नीतीश बताया दो भाई

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बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और जैसे-जैसे तारीख नजदीक आ रही है, राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है। इस बार भाजपा ने चुनावी रणभूमि में एक नया नारा देकर अपने गठबंधन की एकजुटता और नेतृत्व को लेकर संदेश स्पष्ट कर दिया है, “25 से 30, हमारे दो भाई- नरेंद्र और नीतीश।” इस नारे के जरिए भाजपा ने साफ संकेत दे दिया है कि 2025 से 2030 तक भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहेंगे और एनडीए उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगा।
यह ऐलान विपक्ष के उस दावे का जवाब माना जा रहा है, जिसमें बार-बार कहा जा रहा था कि चुनाव के बाद भाजपा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटा सकती है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने पहले भी कई मौकों पर कहा था कि एनडीए का चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे, और अब इस नारे ने उस वादे को और मजबूत कर दिया है।
भाजपा ने सोशल मीडिया पर भी चुनावी प्रचार की रफ्तार बढ़ा दी है। पार्टी के आधिकारिक हैंडल से लगातार पोस्ट किए जा रहे हैं, “बिहार में जारी रहेगी विकास की तेज रफ्तार, 14 नवंबर को फिर एक बार एनडीए सरकार।” वहीं एक अन्य संदेश में लिखा गया “जनता का विश्वास, फिर से NDA सरकार! बस 38 दिन का है इंतज़ार, थमेगी नहीं विकास की रफ्तार।” इन नारों के जरिये भाजपा जनता के बीच यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की जोड़ी ही बिहार के विकास और स्थिरता की गारंटी है।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी चुनाव की घोषणा के बाद जनता से सीधे अपील की। उन्होंने कहा कि बिहार का चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि विकास और सुशासन को आगे बढ़ाने का अवसर है। नड्डा ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार जनकल्याण और सुशासन का पर्याय बन चुकी है। यह चुनाव बिहार को विकास के रास्ते पर बनाए रखने, घुसपैठ और जंगलराज से बचाने का चुनाव है।”
भाजपा और जदयू के बीच तालमेल इस बार पहले से ज्यादा स्पष्ट दिखाई दे रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने नीतीश कुमार को “बड़ा भाई” मानते हुए उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा था, जबकि उस वक्त जदयू को केवल 43 सीटें मिली थीं। इसके बावजूद भाजपा ने मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार का ही समर्थन किया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नारा “25 से 30, हमारे दो भाई- नरेंद्र और नीतीश” भाजपा की रणनीति का हिस्सा है, जिससे वह विपक्ष के उस नैरेटिव को तोड़ना चाहती है कि भाजपा नीतीश को किनारे लगाने की योजना बना रही है। दूसरी ओर, यह संदेश भी देने की कोशिश है कि एनडीए में स्थिरता है और विकास का एजेंडा अगले पांच साल तक बिना किसी रुकावट के जारी रहेगा।
अब देखना यह होगा कि यह जोड़ी मोदी और नीतीश बिहार की जनता को फिर से कितना भरोसा दिला पाती है, क्योंकि विपक्ष आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के साथ मिलकर इस बार मैदान में पहले से ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रहा है।



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