नई दिल्ली। भ्रष्टाचार विरोधी संस्था लोकपाल ने अपने सदस्यों के लिए सात BMW लग्जरी कारें खरीदने के लिए टेंडर निकाला है। इस टेंडर के सामने आने के बाद एक नई बहस छिड़ गई है। कांग्रेस ने मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा है।
दरअसल, कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद पी चिदंबरम ने लोकपाल के इस कदम की आलोचना की है। पी चिदंबरम ने पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट के जजों को मामूली सेडान जाती है, तो लोकपाल के चेयरमैन और उसके छह सदस्यों को बीएमडब्ल्यू कारों की क्या जरूरत है? बता दें कि जिन कारों का टेंडर लोकपाल ने निकाला है, उनमें सभी की कीमत करीब 70 लाख रुपये है।
‘कार खरीदने से मना कर देंगे कई सदस्य’
पी चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि इन कारों को खरीदने के लिए पब्लिक का पैसा क्यों खर्च किया जाए? मुझे उम्मीद है कि कम से कम एक या दो सदस्य इन कारों को खरीदने से मना कर देंगे या कर दिया होगा।
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने एक्स पर लिखा कि यह देखना कि यह एंटी-करप्शन बॉडी अब अपने मेंबर के लिए BMW ऑर्डर कर रही है, यह दुखद विडंबना है, ईमानदारी के रखवाले लेजिटिमेसी से अधिक लग्जरी के पीछे भाग रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 2019 में अपनी स्थापना के बाद से लोकपाल को 8,703 आवेदन मिले हैं। इनसे केवल 24 जांचें हुईं और 6 अभियोजन स्वीकृत हुए हैं।
जानिए कैसे शुरू हुआ विवाद
उल्लेखनीय है कि 16 अक्टूबर को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया। इसमें लोकपाल ने सात बीएमडब्ल्यू 3 सीरीज Li कारों की सप्लाई के लिए एक ओपन टेंडर मंगाए। रिपोर्ट्स के अनुसार, BMW को लोकपाल के ड्राइवरों और स्टाफ को सात दिन की ट्रेनिंग देने के लिए भी कहा जाएगा। इस टेंडर के सामने आने के विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू किया।
बता दें कि लोकपाल के चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस ए.एम खानविलकर हैं। सदस्यों में रिटायर जज जस्टिस एल. नारायण स्वामी, जस्टिस संजय यादव और जस्टिस ऋतु रात अवस्थी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और रिटायरर्ड जज ब्यूरोक्रेट्स पंकज कुमार और अजय तिर्की शामिल हैं।