केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दो कथित ठगों – अजीत कुमार पात्रा और मिंकू लाल जैन को गिरफ्तार किया है, जो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और निजी लोगों के नाम पर फर्जीवाड़ा और रिश्वतखोरी का गिरोह चला रहे थे। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
पात्रा ने जैन के साथ मिलीभगत कर विभिन्न सरकारी विभागों, मंत्रालयों, प्रवर्तन एजेंसियों और न्यायिक संस्थाओं के उच्च अधिकारियों का रूप धारण किया और लोगों को धोखा दिया।
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सीबीआई के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि उन्होंने झूठी पहचान का इस्तेमाल करके अवैध तरीके से लाभ हासिल किए और रिश्वत के रूप में पैसा लिया।
प्रवक्ता ने कहा कि जांच से पता चला है कि आरोपी अक्सर वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से निकटता का दावा करते थे, और लोगों को धमकाने करने के लिए उनके नाम का इस्तेमाल करते थे।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि पात्रा और जैन ने खुद को केंद्रीय एजेंसियों और प्रवर्तन अधिकारियों के रूप में गलत तरीके से पेश कर अनुचित रूप से वीआईपी प्रोटोकॉल और विशेषाधिकारों का आनंद लिया, सरकारी आवासों में रहे, सार्वजनिक कार्यक्रमों और धार्मिक समारोहों में प्रतिबंधित उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों में प्रवेश किया।
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प्रवक्ता ने बताया, ‘‘जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई), जयपुर ने चार नवंबर को साइबडियर नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ विनोद परिहार के परिसरों पर छापेमारी की।’’
अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तारी से बचने के लिए परिहार ने कथित तौर पर आरोपी से संपर्क किया, जिसने डीजीजीआई, जयपुर के अज्ञात अधिकारियों के साथ मिलकर मामले को निपटाने के लिए 18 लाख रुपये की मांग की और राशि प्राप्त भी कर ली।
सीबीआई ने दोनों को उस समय गिरफ्तार किया जब परिहार द्वारा भेजे गए जगजीत सिंह गिल ने कथित रिश्वत की रकम उन्हें पहुंचाई।
बयान के अनुसार, उनके पास से 18 लाख रुपये की राशि बरामद की गई, साथ ही 3.7 करोड़ रुपये नकद, लगभग एक किलो सोने के आभूषण, पात्रा और उनके रिश्तेदारों के नाम संपत्ति के 26 दस्तावेज़ और चार लग्ज़री वाहन भी बरामद किए गए।
इसमें आगे कहा गया है कि दिल्ली, राजस्थान और ओडिशा में विभिन्न परिसरों में तलाशी के दौरान 12 अन्य वाहन और डिजिटल उपकरणों सहित आपत्तिजनक सामग्री भी जब्त की गई है।











