केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार, 31 जनवरी को संसद में जो ‘आर्थिक समीक्षा (Economic Review) 2022-23’ की पेश किया गया है, उसमें आर्थिक समीक्षा (Economic Review) की कुछ अहम जानकारियां जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण से जुड़ी भी सामने आईं हैं। जिसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण (Climate Change And Environment) के मामले में भावी चुनौती का सामना करने के लिए तैयारियां की जा रही हैं और आगे की भी योजना है। इसमें ऊर्जा (Energy) के ऐसे स्त्रोतों की ओर आगे बढ़ने की प्लानिंग है जो सुरक्षित पर्यावरण के लिए बेहतर होंगे। यहाँ तक कि शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए ‘नेट जीरो (Net Zero)’ की भी प्लानिंग आगामी वर्षो के लिए है। पीआईबी द्वारा इस जानकारी में अन्य कई रोचक प्लानिंग भी सामने आई है।
ये है योजना
• भारत ने वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए ‘नेट जीरो’ का संकल्प व्यक्त किया।
• भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधनों से 40 प्रतिशत अधिष्ठापित बिजली क्षमता का अपना लक्ष्य वर्ष 2030 से पहले ही हासिल कर लिया।
• गैर-जीवाश्म ईंधनों से संभावित अधिष्ठापित क्षमता वर्ष 2030 तक 500 जीडब्ल्यू से भी अधिक हो जाएगी जिससे वर्ष 2014-15 की तुलना में वर्ष 2029-30 तक औसत उत्सर्जन दर में लगभग 29 प्रतिशत की कमी आ जाएगी।
• भारत अपनी जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक 45 प्रतिशत कम कर देगा।
• वर्ष 2030 तक लगभग 50 प्रतिशत संचयी बिजली अधिष्ठापित क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोतों से हासिल होगी।
• पर्यावरण के लिए जीवन शैली ‘लाइफ’ के रूप में जन आंदोलन शुरू किया गया।
• सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड फ्रेमवर्क (एसजीआरबी) नवम्बर 2022 में जारी किया गया।
• आरबीआई ने 4000 करोड़ रुपये के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड फ्रेमवर्क (एसजीआरबी) की दो किस्तों की नीलामी की।
• राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से भारत वर्ष 2047 तक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
• वर्ष 2030 तक कम से कम 5 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) की वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित कर ली जाएगी। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत वर्ष 2030 तक जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की संचयी कटौती की जाएगी और 6 लाख से भी अधिक रोजगार सृजित किए जाएंगे। वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में लगभग 125 जीडब्लयू की वृद्धि की जाएगी और जीएचजी के वार्षिक उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी की जाएगी।
• आर्थिक समीक्षा में सीसी पर एनएपी के तहत आठ मिशनों की दिशा में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला गया है, ताकि जलवायु से जुड़ी चिंताओं को दूर किया जा सके और सतत विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
• अधिष्ठापित सौर ऊर्जा क्षमता, जो कि राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत एक अहम पैमाना है, अक्टूबर 2022 में 61.6 जीडब्ल्यू दर्ज की गई।
• भारत नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक पसंदीदा देश बनता जा रहा है; सात वर्षों में कुल निवेश 78.1 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया है।
• सतत पर्यावास पर राष्ट्रीय मिशन के तहत 62.8 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों और 6.2 लाख सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण (अगस्त 2022) किया गया।
क्या होता है नेट जीरो का मतलब?
जानकर बताते हैं कि नेट जीरो उत्सर्जन का मतलब एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करने से है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) करने वाली चीजों का इस्तेमाल बिल्कुल कम करना होता है और जिन चीजों से कार्बन उत्सर्जन होता है उसे सामान्य करने के लिए कार्बन सोखने के इंतजाम भी करने होते हैं। कुल मिलाकर नेट जीरो एमिशन का मतलब ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन शून्य करना नहीं है, बल्कि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को दूसरे माध्यम से बैलेंस करना है। नेट जीरो एमिशन का मतलब एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करना, जिसमें फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल ना के बराबर हो, कार्बन उत्सर्जन करने वाली दूसरी चीजों का इस्तेमाल भी बहुत कम हो।