देवों के देव महादेव की विशेष कृपा का दिन है “महाशिवरात्रि”

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भगवान भोलेनाथ, शिव, शम्भू, शंकर समेत कई नाम पुकारे जाने वाले देवों के देव महादेव की महाशिवरात्रि का महापर्व 18 फरवरी को है। पंडित दीपक पांडेय, भागवत कथा प्रवक्ता (MA संस्कृति) बताते हैं कि हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। वैसे तो हिंदू पंचांग के अनुसार हर एक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत और पूजा-साधना की जाती है, लेकिन फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है।

 

 

पंडित दीपक पांडेय, भागवत कथा प्रवक्ता (MA संस्कृति)

महाशिवरात्रि इस महापर्व के अवसर पर देशभर के सभी ज्योतिर्लिंगों और शिवालयों में शिव भक्तों की लंबी-लंबी कतारें महादेव के पूजन-अर्चन-दर्शन के लिए लगी रहती है। इस दौरान शिवलिंग का विधि-विधान से जलाभिषेक का भी विशेष महत्व माना जाता है।

महाशिवरात्रि को मनाए जाने के पीछे कुछ कथाएं व मान्यताएं भी प्रचलित हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में

  • शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व

मान्यता है कि महाशिवरात्रि वह महारात्रि है जिसका शिव तत्व से घनिष्ठ सम्बन्ध है। यह पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है। उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि को ही महाशिवरात्रि कहा जाता है। वह हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर आदि विकारों से मुक्त करके परम सुख शान्ति और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं।

  • इसी दिन, शिव-पार्वती के विवाह की भी है पौराणिक कथा

एक और पौराणिक कथा है जिसके अनुसार महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और देवी मां पार्वती का मिलन हुआ था। फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने वैराग्य छोड़कर देवी पार्वती संग विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। इसी वजह से हर वर्ष फाल्गुन चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन शिवभक्त कई स्थानों पर महाशिवरात्रि पर शिव जी की बारात निकालते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर व्रत, पूजा और जलाभिषेक करने पर वैवाहिक जीवन से जुड़ी तमाम तरह की परेशानियां दूर होती हैं और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन ही सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रगट हुए थे। इस कारण से 12 ज्योतिर्लिंग के प्रगट होने की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।

  • ये है शिवलिंग के पहली बार प्रकट होने की कथा

महाशिवरात्रि से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव सबसे पहले शिवलिंग के स्वरूप में प्रगट हुए थे। इसी कारण से इस तिथि को पर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के प्रकाट्य पर्व के रूप में हर वर्ष महाशिव रात्रि के रूप में मनाया जाता है। शिव पुराण के अनुसार शिवजी के निराकार स्वरूप का प्रतीक ‘लिंग’ शिवरात्रि की पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था। वहीं स्कंद पुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है, धरती उसका पीठ या आधार है और सब अनंत शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा गया है।

जानिए, भोलेनाथ की विशेष कृपा वाले अवसर व दिन

भगवान शिव की पूजा-आराधना और विशेष कृपा पाने के लिए सावन महीना, प्रदोष व्रत, सोमवार, मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है।

 

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