Singrauli News: जनता से जुड़े काम से ज्यादा हैरान करने वाली करतूतों के लिए सिंगरौली नगर निगम अक्सर सुर्खियों में रहता है। ऐसे ही हैरान करने वाले आरओ प्लांट से जुड़े कुछ मामले इन दिनों एक के बाद एक सामने आ रहे हैं। ये मामले महापौर रानी अग्रवाल की सक्रियता और उन तक आमजनता की पहुंच के कारण हो पाया हुआ है।
दरअसल, जिले के नगर निगम क्षेत्र में रहने वाली जनता को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए जो आरओ प्लांट वर्ष 2014-15 में लगाए गए थे। वो फिलहाल लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने में नाकाम हो रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी इन सभी को पेमेंट पूरा मिल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि ये कैसे हो सकता है?
Singrauli News: ऐसे महापौर को पता चला आरओ प्लांटों का सच
बताया जा रहा है कि शुद्ध पेयजल देने की जिम्मेदारी जिन आरओ प्लांटों पर है, उनसे पानी न मिलने की शिकायतें नगर निगम में करते-करते लोग थक चुके थे और कोई सुनवाई नही हो रही थी। ऐसे में अब जब नई नगर सरकार बनी, तो महापौर रानी अग्रवाल तक आम जनता सीधे अपनी शिकायत लेकर पहुंचने लगी। फिट क्या था महापौर ने आरओ प्लांटों की अपने स्तर से पहले पड़ताल कराई तो बड़ा गड़बड़झाला मिला और यह भी मिला कि इससे आम जनता को इन प्लांटों से शुद्ध पानी मिल ही नही पा रहा। इसके बाद वह खुद मौके पर जाकर जाँच करने लगी तो एक के बाद एक कलई खुलने लगी।
Singrauli News: हदे पार कर दी ननि के कुछ अधिकारियों ने
महापौर रानी अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने दो दिनों में सभी आरओ प्लांट का निरीक्षण किया। जिसमें उन्हें एक भी आरओ प्लांट न तो चलता हुआ और ना ही शुद्ध जल उपलब्ध कराने की मंशा पर खरा उतरा। स्थानीय लोगों भी मौके पर एक आरओ प्लांट पर सीधे बोरिंग का पानी लोगों को पिलाने की शिकायत की। महापौर ने बताया कि नवानगर का आरओ प्लांट तो देखकर ही लगता है कि इसका संचालन वर्षों से नहीं हुआ है। महापौर ने बताया कि उन्होंने फाइल मंगवाई और जांच करवा रही हैं कि हर माह ठेकेदार को किस चीज के लिये कितना भुगतान किया गया?
Singrauli News: लोकायुक्त में शिकायत की भी प्लानिंग
महापौर श्रीमती अग्रवाल ने कहा है कि देखने से ही पता चलता है कि आरओ मामले में यह करोड़ों का घोटाला है। उन्होंने कहाकि जांच में जो भी निगम के अधिकारी दोषी पाये जायेंगे, सभी के खिलाफ पुलिस, शासन और जरूरत पड़ी तो लोकायुक्त में शिकायत की जायेगी। महापौर ने कहाकि ठेकेदार इतना बड़ा घोटाला बिना निगम अधिकारियों की मिलीभगत के नहीं कर सकता है, इसलिये यह भी पता लगाने का प्रयास किया जायेगा कि इसमें किस-किस अधिकारी की संलिप्तता है।
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