Artificial Intelligence: क्या होता है इंसान जैसा हूबहू दिखने वाला रोबोटिक “AI”; जानिए खास खबर

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Artificial Intelligence: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) यानी “AI“,  ये आजकल देश-दुनिया में बड़ी चर्चा के विषय वाली टेक्नोलॉजी (Technology) है। क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हूबहू इंसान जैसा एक रोबोट है, ये मानव बुद्धि से आगे निकल जाएगा क्या? खबरे ये भी हैं कि इसे लेकर दुनिया के बड़े लोग चिंतित हो गए हैंं क्योकि भविष्य में मशीनो से बड़े खतरे का डर है।

Artificial Intelligence: क्या होता है इंसान जैसा हूबहू दिखने वाला रोबोटिक "AI"; जानिए खास खबर
फोटो सोर्स- गूगल (Google)।

1965 में इंटेल के सह-संस्थापक गॉर्डन ई. मूर ने दुनिया के सामने एक नया सिद्धांत रखा। इस सिद्धांत में, उन्होंने बताया कि कंप्यूटर में उपयोग किए जाने वाले ट्रांजिस्टर हर दो साल में अपनी प्रसंस्करण शक्ति को दोगुना कर देते हैं। बाद में मूर के इस नियम को मूर का नियम कहा जाने लगा। आज जिस तेजी से कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड और उसकी कार्य क्षमता बढ़ती जा रही है। मूर के नियम के अनुसार, भविष्य में ये कंप्यूटर क्षमताएँ और भी तेज़ी से बढ़ेंगी। ऐसे में आज दुनिया के कई बड़े अरबपति और विशेषज्ञ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास को लेकर काफी चिंतित हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के आगमन के बाद एक नई चर्चा इस बात पर केंद्रित हो गई है कि क्या AI मानव बुद्धि से आगे निकल जाएगा? इस सवाल की गंभीरता का अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि तकनीकी क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं. वे संभावना व्यक्त कर रहे हैं कि कृत्रिम सामान्य बुद्धि का विकास मानव को विकास की दौड़ में पीछे छोड़ सकता है। 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) मानव बुद्धि से आगे निकल जाएगा इसे लेकर दुनिया के बड़े लोग चिंतित हैंं। भविष्य में मशीनो से बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए, विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और अन्य लेखों व रिसर्च की जो रिपोर्ट्स इंटरनेट पर सार्वजानिक हैं उनके मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) से जुड़े कुछ पहले बता रहे हैं जो कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) को समझने में सहायक हो सकते हैं। 

स्टीफन हॉकिंग ने भी हमें एआई विकास के खतरों से आगाह किया था

आज विश्व चौथी औद्योगिक क्रांति में प्रवेश कर रहा है। कहा जा रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास आने वाले युग में एक नया आकार देगा। वहीं, इस विकसित हो रही तकनीक को लेकर कई चेतावनियां भी सामने आने लगी हैं। स्टीफन हॉकिंग से लेकर एलन मस्क तक कई विशेषज्ञ एआई से जुड़े खतरों पर अपनी-अपनी व्याख्या दे चुके हैं। प्रसिद्ध लेखक मैक्स टैगमार्क ने अपनी पुस्तक लाइफ 3.0 में कहा है कि सदी के अंत तक कृत्रिम सामान्य बुद्धि का विकास मानव बुद्धि से आगे निकल जाएगा। सदी के महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने भी हमें एआई विकास के खतरों से आगाह किया था। वहीं, एलन मस्क का मानना ​​है कि ”कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानवता के लिए सबसे अच्छा और सबसे बुरा दोनों साबित हो सकती है।” इससे यह सवाल उठता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या है और दुनिया इसे लेकर चिंतित क्यों है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से तात्पर्य उस कृत्रिम बुद्धिमत्ता से है जो स्वयं सोचने, समझने और कार्य करने में सक्षम है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता शब्द पहली बार 1955 में जॉन मैकार्थी द्वारा गढ़ा गया था। आज उन्हें AI का जनक कहा जाता है।

Artificial Intelligence: क्या होता है इंसान जैसा हूबहू दिखने वाला रोबोटिक "AI"; जानिए खास खबर
फोटो सोर्स- गूगल (Google)।

भविष्य में मशीनो से बड़ा खतरा पैदा हो सकता है

कृत्रिम बुद्धिमत्ता को समझने से पहले हमें मानव मस्तिष्क को समझना होगा। मानव मस्तिष्क पैटर्न को समझने में बहुत तेज है। इसी क्षमता के कारण हमने कई उन्नत सभ्यताओं और नये आविष्कारों को जन्म दिया है। आज हम मशीनों को वही शक्ति देते हैं। भविष्य में जब मशीनें इंसान की इस ताकत के संपर्क में आएंगी तो बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। मानव मस्तिष्क एक सीमा के भीतर सूचना संसाधित करता है। दूसरी ओर, जब मशीनों की बात आती है, तो वे आपस में डेटा को बहुत तेज़ी से प्रोसेस करते हैं और निर्णय हमारे सामने रखते हैं। वहीं, क्वांटम कंप्यूटिंग का विकास इस क्षमता को नए शिखर पर ले जाने का काम करेगा। भविष्य में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता में अनंत मात्रा में डेटा एकत्र करने और उतने ही बड़े परिणाम निकालने की क्षमता होगी। इस मामले में, यदि एआई के उद्देश्य हमारे उद्देश्यों से थोड़ा सा भी मेल नहीं खाते हैं, तो वे पूरी मानव जाति के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। यह एक बड़ा कारण है कि कई विशेषज्ञ कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लेकर बहुत चिंतित हैं।

Google के AI डीप माइंड ने चैस में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को हराया

एक लोकप्रिय गेम का नाम ‘अल्फा गो’ है। इस खेल में संभवतः हमारे ज्ञात ब्रह्मांड के परमाणुओं से भी अधिक संभावित चालें हैं। 2017 में इस गेम से जुड़ी एक अद्भुत घटना सामने आई थी. Google के AI ‘डीप माइंड’ ने इस गेम में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को हराया। विशेषज्ञों ने कहा, इस समय डीप माइंड अरबों चालों को छोड़कर ऐसी संभावित चालें चला रहा था, जिसे देखकर सामने बैठे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी हैरान रह गए। इस घटना ने वैज्ञानिक जगत में एक नई बहस शुरू कर दी. वह डीप माइंड के खेल के कुछ ज्ञान के आधार पर सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को हरा देता है। भविष्य में क्या होगा, जब एक उच्च तकनीक वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता के पास मानव इतिहास का वह सारा ज्ञान होगा जो हमने अपनी प्रगति में संचित किया है? यह एक बड़ा कारण है कि दुनिया एआई के संभावित खतरों को लेकर इतनी चिंतित है।

 

 

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