Sawan News: इस महीने में भगवान शिव (Shiv ji) की पूजा का विधान है। मान्यता है कि यह माह घर में शुभता और सुख-समृद्धि (Prosperity) लेकर आता है। हालांकि इस माह में विवाह (Marriage) करना अशुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, सावन के महीने में शादियां करना वर्जित है।
हमारा देश प्रचीन काल से ही धार्मिक रिति-रिवाजों को मानने वाला रहा है। हमारे देश में अनेंक धर्मों को मानने वाले लोगों रहते हैं। इसके साथ ही प्राकृतिक तौर पर भिन्नता के कारण भी भारत की सबसे बड़ी विशेषता यहां की विविधता है। इसके कारण यहां पर कई तरह की रिति-रिवाज हैं। जिनके बारे में जानने की लोगों में बहुत इच्छा होती हैं। हालांकि ये मान्यताएं होती हैं। लेकिन इनके पीछे भी कुछ लोग कारण जानने की कोशिश करते हैं। इस तरह का एक सवाल जो आमतौर पर लोगों के मन में आता है कि शादी के बाद पहले सावन माह में विवाहिता ससुराल में क्यों नहीं रहती हैं
चातुर्मास के कारण श्री हरि विष्णु इस दौरान निद्रा में होते हैं। बिना भगवान विष्णु के मां लक्ष्मी विवाह में उपस्थित नहीं होती हैं। ऐसे में बिना लक्ष्मी नारायण के विवाह कार्य होना संभव ही नहीं है। इसलिए शास्त्रों में सावन (Sawan) में शादियां करना वर्जित माना गया है।
इसलिए विवाह वर्जित है
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के ही मंत्रों का उच्चारण होता है।
- सांसारिक कार्यों में भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र) और मां लक्ष्मी की प्रधानता है।
- चातुर्मास के कारण श्री हरि विष्णु इस दौरान निद्रा में होते हैं।
- बिना भगवान विष्णु के मां लक्ष्मी विवाह में उपस्थित नहीं होती हैं।
- ऐसे में बिना लक्ष्मी नारायण के विवाह कार्य होना संभव ही नहीं है।
- इसलिए शास्त्रों में सावन में शादियां करना वर्जित माना गया है।
भगवान शिव की भूमिका
- किसी भी जोड़े को ‘शिव पार्वती जैसी जोड़ी हो’ वाला आशीर्वाद दिया जाता है।
- भगवान शिव और माता पार्वती प्रेम विवाह करने वाले पहले प्रेमी जोड़े हैं।
- इसलिए नवविवाहित दंपत्ति को इन्हीं के जैसे होने का आशीर्वाद मिलता है।
- हालांकि महादेव वैरागी भी हैं इसी कारण से विवाह में उनकी पूजा नहीं होती है।
- विवाह के उपाय से लेकर पूजा तक करने में भगवान शिव का स्थान है।
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