Sawan News: जानिए शिव जी के 10 खास अवतारों के बारे में…

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Sawan News: अभी सावन (Sawan) महीने का अधिक मास चल रहा है। इस महीने में शिव जी (Lord Shiva) और विष्णु की पूजा के साथ ही इनकी कथाएं पढ़ने-सुनने की परंपरा है। शिव जी के 10 खास अवतार के बारे आइये जानते है।

विष्णु जी की तरह ही शिव जी ने भी कई अवतार लिए हैं। शिव पुराण में शिव जी के अलग-अलग अवतारों की कथाएं बताई गई हैं। शिव के अवतारों में पिप्पलाद, नंदी, भैरव, अश्वत्थामा, शरभ, ऋषि दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, किरात अवतार आदि शामिल हैं।

सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें ‘आदिदेव’ भी कहा जाता है। आदिनाथ होने की वजह से उनका एक नाम ‘आदिश’ भी है।

शिव जी के 10 खास अवतार

1. शरभ अवतार

भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नृसिंह अवतार लिया था। हिरण्यकश्यप को मारने के बाद भी नृसिंह शांत नहीं हो रहे थे। तब शिव जी ने शरभ के रूप में अवतार लिया। भगवान शिव आधे हिरण और आधे शरभ पक्षी के रूप में प्रकट हुए थे। शरभ आठ पैर वाला एक जानवर था, जो कि शेर से भी ज्यादा शक्तिशाली था।

2. पिप्पलाद मुनि

पिप्पलाद मुनि को भी शिव जी का अवतार माना गया है। वे दधीचि ऋषि के पुत्र थे। दधीची अपने पुत्र को बचपन में ही छोड़कर चले गए थे। एक दिन पिप्पलाद ने देवताओं से इसकी वजह से पूछी तो देवताओं ने कहा कि शनि की वजह से ऐसा कुयोग बना था, जिसकी वजह से पिता-पुत्र बिछड़ गए। ये सुनकर पिप्पलाद ने शनि को नक्षत्र मंडल से गिरने का शाप दे दिया।

3. नंदी अवतार

शिलाद मुनि एक ब्रह्मचारी ऋषि थे। उन्होंने विवाह नहीं किया था तो एक दिन उनके पितरों ने शिलाद से संतान पैदा करने के लिए कहा, ताकि उनका वंश आगे बढ़ सके। इसके बाद शिलाद ने संतान पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या की। तब शिव जी ने स्वयं शिलाद के यहां पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया।

4. भैरव देव

शिवपुराण के मुताबिक भैरव देव शिव जी के स्वरूप हैं। एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी खुद को श्रेष्ठ बता रहे थे, विवाद कर रहे थे। तभी वहां शिव जी तेजपुंज से एक व्यक्ति के रूप में प्रकट हुए। उस समय ब्रह्मा जी ने कहा कि तुम मेरे पुत्र हो। ये सुनकर शिव जी को क्रोध आ गया। तब शिव जी ने उस व्यक्ति से कहा कि काल की तरह दिखने की वजह से आप कालराज हैं और भीषण होने से भैरव हैं। कालभैरव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था। इसके बाद काशी में कालभैरव को ब्रह्महत्या के दोषी से मुक्ति मिली थी।

5. अश्वथामा

महाभारत के समय द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को शिव जी का ही अंशावतार माना जाता है। द्रोणाचार्य ने शिव जी को पुत्र रूप में पाने के लिए तप किया था। शिव जी ने उन्हें वर दिया था कि वे उनके पुत्र के रूप में अवतार लेंगे। श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा के माथे पर लगी मणि निकालकर कलियुग के अंत तक भटकते रहना का शाप दिया था।

6. वीरभद्र

जब सती ने अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ में कूदकर देह त्याग दी तो शिव जी बहुत क्रोधित हो गए थे। उस समय शिव जी ने अपनी जटा से वीरभद्र को प्रकट किया था। वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया था। बाद में देवताओं की प्रार्थना पर शिव जी दक्ष के धड़ पर बकरे का मुंह लगाकर उसे फिर से जीवित कर दिया था।

7. दुर्वासा मुनि

अनसूइया और उनके पति महर्षि अत्रि ने पुत्र प्राप्त करने के लिए तप किया था। तप से प्रसन्न होकर उनके सामने ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी प्रकट हुए थे। तब तीनों भगवानों ने कहा था कि हमारे अंश से तुम्हारे तीन पुत्र पैदा होंगे। इसके बाद अनुसूइया और अत्रि के यहां ब्रह्मा जी के अंश से चंद्र, विष्णु जी के अंश से दत्तात्रेय और शिव जी के अंश से दुर्वासा मुनि ने जन्म लिया था।

8. हनुमान

श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को शिव जी का ही अवतार माना गया है। हनुमान जी देवी सीता के वरदान की वजह से अजर-अमर हैं यानी हनुमान जी कभी बूढ़े नहीं होंगे और अमर रहेंगे।

9. किरात अवतार

महाभारत में अर्जुन शिव जी से दिव्यास्त्र पाने के लिए तप कर रहे थे। उस समय एक असुर सूअर के रूप में अर्जुन को मारने के लिए पहुंच गया था। जब अर्जुन ने सूअर पर बाण छोड़ा तो उसी समय एक किरात वनवासी ने बाण सूअर को मारा था। एक साथ दोनों के बाण उस सूअर को लगे। इसके बाद अर्जुन और किरात के बीच उस सूअर पर अधिकार पाने के लिए युद्ध हुआ था। युद्ध में अर्जुन की वीरता देखकर शिव जी प्रसन्न हुए और अर्जुन को दिव्यास्त्र दिया।

10. अर्द्धनारिश्वर

​​​​​​​​​​शिवपुराण के मुताबिक ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर दी थी, लेकिन सृष्टि आगे नहीं बढ़ रही थी। तभी ब्रह्मा जी के सामने आकाशवाणी हुई कि उन्हें मैथुनी सृष्टि की रचना करनी चाहिए। इसके बाद ब्रह्मा जी ने शिव जी प्रसन्न करने के लिए तप किया। शिव जी अर्द्धनारिश्वर के रूप में प्रकट हुए। इसके बाद शिव जी ने अपने शरीर से शक्ति यानी देवी को अलग किया और इसके बाद से सृष्टि आगे बढ़ने लगी।

 

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