Singrauli News: फ़र्ज़ी स्टाम्प से मुआवजा लेने वालों के विरुद्ध कार्रवाई का फरमान; जानिए खबर

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Singrauli News: स्टाम्प बिक्री (Stamp sale) में नियमों की अनदेखी, पंजी में उसके संधारण में लापरवाही एवं रेलवे भूअर्जन (railway land) में बिना ड्यूटी लिए ही मकानों को एक से दूसरे के नाम करने में शासन को राजस्व की चपत लगने की जांच में पुष्टि हुई है।

इसके बाद प्रदेश के महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक (investigate and take action) ने कलेक्टर को जांच कर कार्रवाई करने के लिए कहा है। इस संबंध में गत 22 सितंबर को उनकी ओर से कलेक्टर को जो पत्र भेजा गया है उसमें गलत तरीके से जारी हुए स्टाम्पों के आधार पर भूअर्जन प्रकरणों में पक्षकारों द्वारा अनैतिक रूप से मुआवजा लिए जाने की स्थिति में दोषी पक्षों के खिलाफ नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई को विधि अनुकूल बताया है। दरअसल, देवसर के खोभा निवासी डीपी शुक्ला ने देवसर के स्टाम्प विक्रेता जर्रार खान द्वारा फर्जी स्टाम्प बिक्री, संधारण में लापरवाही एवं रेलवे (Railways) का मुआवजा पाने के लिए बिना ड्यूटी चुकाए बड़ी संख्या में स्टाम्प की बिक्री करने की शिकायत की थी। महानिरीक्षक पंजीयन ने नर्मदापुरम के वरिष्ठ जिला पंजीयक रत्नेश भदौरिया, सागर के वरिष्ठ उप पंजीयक कौशलेंद्र सिंह और इटारसी के उप पंजीयक संजय चौखे की तीन सदस्यीय समिति से जांच कराई थी। जिसमें जर्रार खान द्वारा नियमों की अवहेलना कर क्रेता की पहचान के आधार व हस्ताक्षर तथा प्रयोजन का उल्लेख किए बिना वर्ष 2017-18 से मार्च 2021 तक बड़ी संख्या में स्टाम्प की बिक्री करने की पुष्टि हुई थी।

यह जांच होने से पहले ही शिकायत के आधार पर सीधी व सिंगरौली (Sidhi and Singrauli District) के जिला पंजीयक अभिषेक सिंह (Registrar Abhishek Singh) ने जर्रार खान का स्टाम्प बिक्री लाइसेंस (stamp selling license) रद कर दिया था।

पिता का लाइसेंस रद कर बेटे को कर दिया जारी

मजे की बात ताूे ये कि जांच समिति के प्रतिवेदन व उप महानिरीक्षक पंजीयन जबलपुर परिक्षेत्र के अभिमत अनुसार स्टाम्प विक्रय नियमों के उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर एक ओर जहां जर्रार खान का लाइसेंस रद किया गया तो दूसरी उसके बेटे के नाम स्टाम्प बिक्री का लाइसेंस जारी कर दिया। देवसर के उप पंजीयक व वैढऩ के प्रभारी गंगा प्रसाद पांडेय ने इसकी पुष्टि की। बताया कि लाइसेंस जिला पंजीयक जारी करते हैं।

नियमों की अनदेखी को बताया सद्भाविक भूल

इस मामले में यह भी ध्यान देने वाली बात है कि स्टाम्प विक्रेता जर्रार खान के खिलाफ कार्रवाई तो कर दी गई, लेकिन उन उप पंजीयक को छोड़ दिया गया जिनके ऊपर समय-समय पर स्टाम्प विक्रेताओं की बिक्री पंजी के अवलोकन व सत्यापन का जिम्मा रहता है। जांच टीम के समक्ष कथन में जर्रार खान ने इस त्रुटि को सद्भाविक भूल बताते हुए माफी मांगी थी। साथ ही यह स्वीकार किया था कि वर्ष 2017 से 2021 तक विक्रय पंजी का बिना सत्यापन कराए ही स्टाम्प बिक्री अनुज्ञप्ति का नवीनीकरण कराया जाता रहा है।

स्टाम्प विक्रय पंजी की आखिर क्यों नहीं की जांच?

ये मामला तब देवसर के उप पंजीयक गंगा प्रसाद पांडेय के संज्ञान में आया जब उन्होंने नकल देने के लिए जर्रार खान की स्टाम्प विक्रय पंजी का अवलोकन किया। इसके बाद उसे गत मार्च के अंतिम दिन नोटिस जारी की गई और 18 मई को न्यायालय कलेक्टर ऑफ स्टाम्पस ने आदेश जारी कर उसकी अनुज्ञप्ति निरस्त कर दी। अपने कथन में देवसर के प्रभारी उप पंजीयक ने अप्रैल में जमा करने के बाद भी स्टाम्प विक्रय पंजी का अवलोकन न कर पाने को सद्भाविक भूल बताया और कर्मचारियों की कमी का हवाला दिया।

कलेक्टर को करानी है राजस्व हानि की जांच

जांच टीम ने आक्षेप क्रमांक तीन का जो परीक्षण निष्कर्ष लिखा है उसमें यह उल्लेख किया है कि यदि उप पंजीयक द्वारा वर्ष 2017 से 2021 मार्च तक की 5 विक्रय पंजियों का अवलोकन गंभीरता से किया गया होता तो स्टाम्पों के दुरुपयोग की स्थिति न पैदा होती व राजस्व का नुकसान न होता। इस मामले में जिला पंजीयक द्वारा भी पर्याप्त प्रशासनिक नियंत्रण रखना अपेक्षित था, जो कि नहीं किया गया। फिलहाल, टीम ने मुआवजे को लेकर किए गए शपथपत्र देखने के बाद यह अभिमत दिया कि सिंगरौली सहित प्रदेश के सभी वरिष्ठ व जिला पंजीयकों को स्टाम्प विक्रय पंजी के अवलोकन का स्थायी निर्देश जारी करना उचित होगा।

यानी यह स्टाम्प के आधार पर राजस्व चोरी है

टीम ने कहा है कि शपथ पत्र की भाषा का परीक्षण करने से संज्ञान में आया है कि उसमें दिए गए परिवर्णनों के अनुसार शपथकर्ता द्वारा यह लेख किया गया है कि पारित अवार्ड के क्रमांकों में अंकित मकान मालिकों में उसका नाम त्रुटिवश अंकित हो गया है। इसके स्थान पर शपथ पत्र में दिए अन्य नाम सूची में दर्ज कर उन्हीं को मुआवजा दिया जाए। इससे यह परिलक्षित होता है कि यदि संबंधित विभाग मात्र इस शपथ पत्र (stamp) को आधार मानते हुए अवार्ड सूची में अन्य नाम शामिल कर ले रहा तो इस लिखत पर भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के तहत निर्मित अनुसूची 1-क के अनुच्छेद 25 अंतर्गत हस्तांतरण पत्र अनुसार मुद्रांक शुल्क प्रभारित होना चाहिए। ऐसे में प्रदेश के सभी भूमि अधिग्रहण संबंधी जिलों में तहसील व अन्य कार्यालयों से इस प्रकार के स्टाम्प प्राप्त कर भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 33/48बी के प्रावधान के अनुरूप प्रकरण पंजीबद्ध कर अतिरिक्त राजस्व प्राप्ति हेतु मुख्यालय स्तर से निर्देश जारी करना उचित है।

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