Singrauli Municipal Corporation: जनता के करोड़ों रुपए अधर में; जानिए कैसे?

By
On:
Follow Us

Singrauli Municipal Corporation (Shashikant kushwaha): सिंगरौली जिले (Singrauli district) में आम जनमानस से लेकर प्रशासनिक अमले तक ने नियमों को दरकिनार कर कार्य करने की कार्यशैली अपना रखी है ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि सिंगरौली (Singrauli) के जिला मुख्यालय स्थित नगर निगम (Municipal Corporation) कार्यालय के कार्यशाली कुछ ऐसे हालात बयां कर रही है।

दरअसल, बीते कई दशकों से सिंगरौली जिले (Singrauli district) के विकास कार्यों को गति प्रदान करने वाले नगर निगम (Municipal Corporation) के अंदर भ्रष्टाचारी के बिना ही कोई कार्य हो जाए यह संभव होता दिखाई नहीं पड़ रहा है निगम के लापरवाह रवैया के कारण हाई कोर्ट से लेकर राज्य सूचना आयोग सहित एनजीटी जैसे कई संस्थाओं के हस्तक्षेप के बाद भी नगर निगम (Municipal Corporation) अपने कार्य प्रणाली पर सुधार लाने को तैयार नहीं है। सिंगरौली जिले की जनता नगर निगम (Municipal Corporation) कार्यालय खाने की बजाय अब इसे नरक निगम कार्यालय की उपाधि तक दे चुकी है। बीते कई सालों से चली आ रही प्रथम अब जैसे निगम कार्यालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की आदत में आ चुकी है हारने की बात तो यह है कि नगर निगम सिंगरौली (Municipal Corporation Singrauli) के द्वारा किए जा रहे कार्यों को जिला कलेक्टर सिंगरौली (Collector Singrauli) एवं अन्य काई कार्यालय भी नजरअंदाज करते दिखाई पड़ रहे हैं आर्थिक सामाजिक एवं नैतिक पतन की ओर निगम अमला चल पड़ा है।

आलम ये है कि सिंगरौली नगर निगम (Municipal Corporation Singrauli) में एक तरफ जहां जनता की पैसों की खुलेआम होली जलाई जाती है वहीं दूसरी तरफ बिचौलिए अपनी जेब में भरने से बाज नहीं आते हैं।

माजन तालाब के मामले निगम को लगी थी फटकार

सिंगरौली (Singrauli) के जिला मुख्यालय के समीप मौजूद माजन तालाब को लेकर मिले सबक को निगम अमला भुला बैठा है। ज्ञात हो कि नगर निगम सिंगरौली (Municipal Corporation Singrauli) के माजन कला तालाब के साथ छेड़छाड़ कर व्यवसायिक काम्पलेक्स एवं आवासीय परिसर का निर्माण कार्य मनमाने तौर पर कराये जाने के कारण सुविधा सेवा संस्थान की ओर से अधिवक्ता सतेन्द्र शाह के द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर में वर्ष 2015 में जनहित याचिका प्रस्तुत किया था। उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा उक्त जनहित याचिका को सम्यक निराकरण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल भोपाल को रेफर कर दिया गया था। जहां एनजीटी द्वारा को उक्त तालाब के संबंध में अपने यहां दर्ज ओरिजिनल अप्लीकेशन को निराकृत करते हुए नगर पालिक निगम सिंगरौली के उक्त अवैध निर्माण एवं पर्यावरण विरोधी कृत्य की घोर निंदा करते हुए अहम टिप्पणी किया गया है। एनजीटी द्वारा कहा गया है कि नपानि एक शासकीय संस्थान है जिसके ऊपर पर्यावरण संरक्षण एवं संवद्र्धन की संपूर्ण जिम्मेदारी है। लेकिन निगम के द्वारा ही सिंगरौली के पर्यावरण का ख्याल नहीं रखा है। अधिकरण ने अपने निर्णय के पैरा क्र.60-61 में माजनकला तालाब सहित संपूर्ण जल स्त्रोतों एवं पर्यावरण के लिए यह निर्देश जारी किया है कि माजनकला तालाब शासकीय तालाब है। यह शासन के स्वामित्व का होकर सार्वजनिक सम्पत्ति है। जिसका संरक्षण करने का दायित्व सभी को है। उक्त तालाब में निगम द्वारा किया गया निर्माण अनाधिकृत है जो प्रत्येक स्थिति में ध्वस्त किये जाने योग्य है। साथ ही निगम के ऊपर इसमें किये गये व्यय का 10 प्रतिशत संपूर्ण क्षतिपूर्ति अधिरोपित करते हुए निगम द्वारा म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MP Pollution Control Board) के खाते में क्षतिपूर्ति राशि जमा कराने के लिए कहा गया । उक्त रकम का उपयोग उक्त तालाब एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाना था। एनजीटी (NGT) के निर्णय में यह भी निर्देशित किया गया है कि नगर निगम ऐसे शासकीय तालाबों एवं जल स्त्रोंतों का एक ट्रस्टी है जिसका दायित्व ऐसे तालाबों एवं जल स्त्रोतों का संरक्षण करना है ।

एनजीटी ने दिखाया था निगम को आइना

तालाब के अस्तित्व के साथ छेड़छाड़ करने के मामले को लेकर एनजीटी (NGT) ने नगर निगम सिंगरौली (Municipal Corporation Singrauli) को भले ही आईना दिखाया परंतु निगम सब दरकिनार कर अपने कार्य मे मस्त है । अब यह देखने में आ रहा है कि प्रकृति के द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक नालों तालाबों के अस्तित्व को मिटाने पर नगर निगम सिंगरौली (Municipal Corporation Singrauli) आमादा हो गया है। यही हाल रहा तो आने वाले समय में यह सभी स्त्रोत मूल पहचान को खो देंगे ।वहीं निगम को किसी के आदेश की परवाह भी नही है , परंतु तालाब के मामले में निगम ने कई करोड़ रुपये खर्च कर निर्माण कार्य किया था जिसमे की नियमों को दरकिनार किया गया जिसका नतीजा यह हुआ है कि आज था निर्मित भवन खंडहर में तब्दील हो रहें और तालाब तो नाम मात्र का ही बचा। निगम अधिकारियों की दलील है कि मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है ।

ये भी पढ़िए- Singrauli Breaking: आप प्रदेश अध्यक्ष के गढ़ में जिलाध्यक्ष निलंबित; जानिए

For Feedback - vindhyaajtak@gmail.com 
Join Our WhatsApp Channel

Leave a Comment

Live TV