Coal: भारत (India) में वर्ष 2004-05 में जो कोयला उत्पादन (coal production) 382.62 मिलियन टन (एमटी) था,
वह 2022-23 में बढ़कर 893.19 मिलियन टन हो गया है और वर्ष 2023-24 में 1000 मिलियन टन को छूने के लिए तैयार है। कुल वार्षिक कोयला उत्पादन (coal production) वित्त वर्ष 2013-14 में 565.77 मिलियन टन से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 893.19 मिलियन टन हो गया है, जो पिछले 10 वर्षों में 57.87 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्शाता है।
2008-09 से ऐतिहासिक कोयला उत्पादन (coal production) डेटा इस प्रकार है:
वर्ष | कोयला उत्पादन (एमटी) |
2008-09 | 492.76 |
2009-10 | 532.04 |
2010-11 | 532.69 |
2011-12 | 539.95 |
2012-13 | 556.40 |
2013-14 | 565.77 |
सीएजीआर | 2008-09 से 2013-14 तक 2.80 प्रतिशत |
वर्ष | कोयला उत्पादन (एमटी) |
2014-15 | 609.18 |
2015-16 | 639.22 |
2016-17 | 657.87 |
2017-18 | 675.40 |
2018-19 | 728.72 |
2019-20 | 730.87 |
2020-21 | 716.08 |
2021-22 | 778.21 |
2022-23 | 893.19 |
2023-24 | दिनांक 26 फरवरी, 2024 को 870.26 |
सीएजीआर | 2014-15 से 2022-23 तक 5.20 प्रतिशत |
उत्पादन क्षमता में वृद्धि के परिणामस्वरूप आयात में कमी आई
2008-09 से 2013-14 तक कोयला उत्पादन (coal production) का सीएजीआर 2.8 प्रतिशत था। यदि यही प्रवृत्ति जारी रहती तो 2022-23 में कोयला उत्पादन (coal production) केवल 725.39 मिलियन टन होता। सरकार की निरंतर सक्रिय पहल से 2022-23 में उत्पादन 893.19 मिलियन टन होने के साथ सीएजीआर 5.20 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर रहा है। 167.80 मिलियन टन (लगभग 2.71 लाख करोड़ रुपये की बचत) के उत्पादन में इस उछाल ने कोयला आयात को कम करने में मदद की है, जिसे देश को आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ता अगर सीएजीआर केवल 2.8 प्रतिशत पर रहता, जैसा कि 2014 के पहले का परिदृश्य था।
कोयले की आपूर्ति और कोयले की कीमत का कम होना
भारत अपनी अधिकांश कोयले (coal) की जरूरतों को घरेलू उत्पादन और आपूर्ति के माध्यम से पूरा करता है। विशेष रूप से, कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) एक प्रमुख भूमिका निभाता है, जो देश के स्वदेशी कोयला उत्पादन (coal production) और आपूर्ति में 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान करता है। मौजूदा प्रणाली के तहत, सीआईएल (CIL) सहित सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनियां बिजली क्षेत्र को अधिसूचित कीमतों पर कोयले (coal) की आपूर्ति करती हैं।
2018 के बाद से सीआईएल (CIL) द्वारा कोई अधिसूचित मूल्य वृद्धि नहीं हुई है। कंपनी ने उच्च ग्रेड कोयला उत्पादन (coal production) को बढ़ाने और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए ग्रेड जी-2 से जी-10 के उच्च ग्रेड कोयले के लिए केवल अधिसूचित कीमतों में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इस मामूली वृद्धि से सीआईएल के 28 प्रतिशत से कम प्रेषण पर प्रभाव पड़ेगा और वृद्धिशील राजस्व केवल 3.37 प्रतिशत होगा।
वित्तवर्ष 2022-23 में, सीआईएल (CIL) का औसत ईंधन आपूर्ति समझौता (एफएसए) मूल्य लगभग 1450 रुपये प्रति टन था, समग्र एफएसए मूल्य निर्धारण में 3.37 प्रतिशत की वृद्धि औसत एफएसए दरों में लगभग 48 रुपये प्रति टन की वृद्धि दर्शाती है। कोयले की कीमतों में 100 रुपये की बढ़ोतरी से बिजली टैरिफ में लगभग 6 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी होगी, कोयले की कीमतों में उपरोक्त मामूली वृद्धि के साथ टैरिफ में संभावित वृद्धि 3 पैसे प्रति यूनिट से कम होगी।
इसके अलावा, कोयला उत्पादन (coal production) में वृद्धि के अनुरूप रॉयल्टी संग्रह से राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है।
उपरोक्त सभी के परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली प्राप्त हुई है।
नीलामी कोयले के प्रीमियम में कमी
देश में कोयला उत्पादन (coal production) में वृद्धि के साथ उपभोक्ताओं के लिए कोयले की उपलब्धता बढ़ी है, जो कोयला नीलामी में प्रीमियम की घटती प्रवृत्ति से स्पष्ट है। घटती प्रवृत्ति का संकेत देने वाले कोयला नीलामी के आंकड़े इस प्रकार हैं:
वर्ष 2022-23 | अधिसूचित कीमत पर प्रीमियम (प्रतिशत में) | वर्ष 2023-24 | अधिसूचित कीमत पर प्रीमियम (प्रतिशत में) |
अप्रैल-22 | 345 | अप्रैल-23 | 137 |
मई-22 | 425 | मई-23 | 78 |
जून-22 | 357 | जून-23 | 54 |
जुलाई-22 | 290 | जुलाई-23 | 58 |
अगस्त-22 | 312 | अगस्त-23 | 78 |
सितम्बर 22 | 276 | सितम्बर-23 | 106 |
अक्टूबर-22 | 242 | अक्टूबर-23 | 118 |
नवम्बर-22 | 241 | नवंबर-23 | 83 |
दिसम्बर-22 | 179 | दिसम्बर-23 | 62 |
जनवरी-23 | 188 | ||
फ़रवरी-23 | 183 | ||
मार्च-23 | 146 |
ये भी पढ़िए- Press Sewa Portal: RNI का नाम बदला और प्रेस, पत्रिकाओं का पंजीकरण नियम भी बदला; जानिए