drinking water crisis: सिंगरौली जिला जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित; पढ़िए पूरी खबर

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drinking water crisis: सिंगरौली जिले (Singrauli district) में विभिन्न कार्यों के लिए भू-गर्भीय जल स्त्रोतों (water source) के अत्याधिक दोहन एवं तापमान बढ़ने के साथ जल स्तर में तेजी से गिरावट की समस्या गहरा गई है।

ऐसे में पेयजल संकट (drinking water crisis) के कारण कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी चन्द्रशेखर शुक्ला (Collector and District Magistrate Chandrashekhar Shukla) ने सिंगरौली जिले (Singrauli district) में पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधानों के तहत जिले को जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र (water scarcity area) घोषित किया है। आदेश के तहत जिले में 15 जुलाई 2024 तक किसी भी शासकीय भूमि पर स्थिति जल स्त्रोतों में पेयजल (drinking water) तथा घरेलू उपयोग को छोड़कर पानी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिले के सभी शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र के समस्त जल स्त्रोतों जिनमें नदी, नाले, स्टाप डैम, सार्वजनिक कूप एवं अन्य जल स्त्रोत (water source) शामिल है उन्हें पेयजल तथा घरेलू कार्यों हेतु तत्काल प्रभाव से सुरक्षित किये जाने के आदेश दिये गये हैं।

सिंगरौली जिले (Singrauli district) में प्रतिबंध की इस अवधि में किसी भी व्यक्ति अथवा निजी एजेंसी द्वारा सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना नवीन नल कूप खनन की अनुमति नहीं होगी। शासकीय नल कूप खनन को प्रतिबंधों से छूट दी गयी है।

सिंगरौली कलेक्टर (Singrauli Collector) के जारी आदेश के अनुसार प्रतिबंध की अवधि में यदि कोई व्यक्ति अपनी निजी भूमि पर नल कूप खनन कराना चाहता है तो उसे निर्धारित प्रारूप में शुल्क सहित अपने क्षेत्र के एसडीएम को आवेदन करना होगा। लिखित अनुमति मिलने के बाद ही नल कूप खनन किया जा सकेगा। यदि किसी क्षेत्र में सार्वजनिक पेयजल स्त्रोत सूख जाते हैं तथा विकल्प के रूप में अन्य सार्वजनिक पेयजल स्त्रोत उपलब्ध नहीं है ऐसी स्थिति में एसडीएम निजी पेयजल स्त्रोत को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार अधिग्रहीत कर सकेंगे।

सिंगरौली कलेक्टर ने दिए आदेश

प्रतिबंध के आदेश 15 जुलाई 2024 तक लागू रहेंगे। प्रतिबंध की अवधि में पेयजल परिरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करने पर दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 188 के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। सिंगरौली कलेक्टर (Singrauli Collector) ने सभी एसडीएम, तहसीलदार, पुलिस अधिकारियों तथा पीएचई विभाग के अधिकारियों को जारी आदेश का पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिये हैं। तत्काल प्रभाव से आदेश लागू किया जाना आवश्यक होने के कारण यह आदेश दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (2) के तहत एक पक्षीय रूप से पारित किया जाता है।

 

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