Singrauli News: जबलपुर (Jabalpur) की एमपी हाईकोर्ट (MP High Court) ने सिंगरौली (Singrauli) में कुछ महीने पहले कथित रूप से अपहरण और बलात्कार की शिकार (raped) हुई 14 वर्षीय लड़की के गर्भपात (abortion) की अनुमति दे दी है।
कुछ ही दिन पहले एक आदेश में न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया ने कहा कि गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन करने वाले डॉक्टर और राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं होंगे और गर्भपात का चिकित्सीय समापन केवल लड़की के माता-पिता के जोखिम और लागत पर किया जाएगा। अदालत ने कहा कि लड़की के माता-पिता अपनी बेटी को प्रक्रिया के लिए सिंगरौली (Singrauli) के जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी के पास ले जा सकते हैं।
बता दें कि अदालत (MP High Court) ने अधिकारियों को डीएनए परीक्षण के लिए भ्रूण को संरक्षित करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि अगर CMHO को लगता है कि लड़की को बेहतर इलाज के लिए किसी मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल में भेजने की जरूरत है। तो वह उसे गर्भपात के लिए उक्त अस्पताल में रेफर कर सकते हैं। भ्रूण को संरक्षित करने का निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि इसे तुरंत जांच एजेंसी को सौंप दिया जाए। इसमें कहा गया है। जांच अधिकारी को भ्रूण को जब्त किए जाने की तिथि से दो दिनों के भीतर डीएनए फिंगरप्रिंट प्रयोगशाला में भेजने का निर्देश दिया गया है। स्थानीय पुलिस सूत्रों के मुताबिक, किशोरी इस वर्ष की शुरुआत में लापता हो गई थी और जिले के मोरवा पुलिस स्टेशन में अपहरण का मामला दर्ज किया गया था। एक महीने से अधिक समय बाद जब उसका पता चला। तो नाबालिग को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया। जिसमें पता चला कि वह गर्भवती थी। पुलिस ने बाद में भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत बलात्कार के आरोपों के साथ FIR को आगे बढ़ाया। उसके पिता ने फिर गर्भपात के लिए अदालत का रुख किया।
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