national news: 400 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में से 300 से अधिक पर हुई ये कार्रवाइयां; जानिए

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national news: देश में औषधि विनिर्माण परिसरों के नियामक अनुपालन का आकलन करने के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने राज्य औषधि नियंत्रकों (एसडीसी) के साथ मिलकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमईएस) सहित 400 परिसरों का जोखिम-आधारित निरीक्षण किया है।

फर्मों की पहचान जोखिम मानदंडों जैसे मानक गुणवत्ता की नहीं घोषित की गई औषधियों की संख्या, शिकायतें, उत्पादों की गंभीरता आदि के आधार पर की गई है। निरीक्षण के दौरान कई औषधियों के नमूने लिए गए और उनका परीक्षण किया गया। कुछ नमूने “मानक गुणवत्ता के नहीं” पाए गए हैं। निरीक्षकों के निष्कर्षों के आधार पर, राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकारियों द्वारा औषधि नियम 1945 के प्रावधानों के अनुसार कारण बताओ नोटिस जारी करना, उत्पादन रोकना आदेश, निलंबन, लाइसेंस/उत्पाद लाइसेंस रद्द करना आदि जैसी 300 से अधिक कार्रवाइयां की गई हैं।

औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के अधीन औषधियों के निर्माण और बिक्री पर नियामक नियंत्रण राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकारियों द्वारा लाइसेंसिंग और निरीक्षण की एक प्रणाली के माध्यम से किया जाता है।

लाइसेंसधारी को औषधि नियम, 1945 के अंतर्गत निर्धारित अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) सहित लाइसेंस की सभी शर्तों का पालन करना आवश्यक है। राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को उचित न्यायालय में अभियोजन सहित ऐसे लाइसेंस की किसी भी शर्त के उल्लंघन पर कार्रवाई करने का अधिकार है।

सीडीएससीओ और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित नियामक उपाय किए हैं:-

  • नकली और मिलावटी /औषधियों के निर्माण के लिए कड़े दंड का प्रावधान करने के लिए औषधि और प्रसाधन सामग्री (संशोधन) अधिनियम 2008 के अंतर्गत औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 में संशोधन किया गया था। कुछ अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती भी बनाया गया है।
  • राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के अंतर्गत अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतें स्थापित की हैं।
  • पिछले 10 वर्षों में सीडीएससीओ में स्वीकृत पदों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • औषधियों की प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए, ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स नियम, 1945 में संशोधन करके प्रावधान किया गया है कि आवेदक को कुछ औषधियों की मौखिक खुराक के निर्माण लाइसेंस के अनुदान के लिए आवेदन के साथ जैव-समतुल्यता अध्ययन (बायोइक्विवैलेंस स्टडी) का परिणाम प्रस्तुत करना होगा।
  • औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 में संशोधन करके यह अनिवार्य कर दिया गया है कि विनिर्माण लाइसेंस देने से पहले, विनिर्माण प्रतिष्ठान का केंद्र सरकार और राज्य सरकार के औषधि निरीक्षकों द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण किया जाएगा।
  • औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 में संशोधन किया गया है, जिससे यह अनिवार्य हो गया है कि आवेदक प्राधिकरण द्वारा विनिर्माण लाइसेंस देने से पहले राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को स्थिरता, सहायक पदार्थों की सुरक्षा आदि के प्रमाण प्रस्तुत करेंगे।
  • केंद्रीय नियामक राज्य औषधि नियंत्रण संगठनों की गतिविधियों का समन्वयन करता है और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के प्रशासन में एकरूपता के लिए राज्य औषधि नियंत्रकों के साथ आयोजित औषधि सलाहकार समिति की बैठकों के माध्यम से विशेषज्ञ सलाह प्रदान करता है।

ये भी जानिए

औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और उसके तहत बनाए गए नियमों के अंतर्गत औषधियों के निर्माण और बिक्री पर नियामक नियंत्रण राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकारियों द्वारा लाइसेंसिंग और निरीक्षण की एक प्रणाली के माध्यम से किया जाता है। लाइसेंसधारी को औषधि नियम, 1945 के अंतर्गत निर्धारित अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) सहित लाइसेंस की शर्तों का पालन करना आवश्यक है। राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को उचित न्यायालय में अभियोजन सहित ऐसे लाइसेंस की किसी भी शर्त के उल्लंघन पर कार्रवाई करने का अधिकार है। औषधि नियम, 1945 के अनुसार विनिर्माण परिसर, चाहे वे सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमईएस) हों या कुछ और , उन्हें औषधि नियम, 1945 की अनुसूची एम के अंतर्गत निर्धारित अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) सहित लाइसेंस की शर्तों का पालन करना आवश्यक है। केंद्र सरकार ने गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली (क्यूएमएस) के शेड्यूल एम के अंतर्गत जी.एस.आर. 922 (ई) दिनांक 28.12.2023 अनुसूची एम के अंतर्गत फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए अच्छे विनिर्माण प्रथाओं और परिसर, संयंत्र और उपकरणों की आवश्यकताओं से संबंधित उक्त नियमों की अनुसूची एम को संशोधित करने के लिए औषधि नियम 1945 में संशोधन गया है ।

यह जानकारी आज लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने दी है।

 

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