Ministry of Steel: स्टील उत्पादों की ब्रांडिंग में क्यूआर कोड के साथ मेड इन इंडिया लेबल के माध्यम से घरेलू स्टील उत्पादों की लेबलिंग का प्रावधान है,
जिसमें घरेलू स्टील उत्पादों और निर्यात के लिए निर्मित स्टील दोनों के लिए उत्पाद का विवरण शामिल है। इस संबंध में, प्रमुख एकीकृत इस्पात संयंत्रों द्वारा एक पायलट रोलआउट लागू किया गया है।
सरकार ने ‘मेक इन इंडिया‘ के दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और भारत को दुनिया के “विनिर्माण केंद्र” के रूप में बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित पहल की हैं: –
- (i) आत्मनिर्भर पैकेज की शुरुआत, नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) और नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (एनएमपी), इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक (आईआईएलबी), इंडस्ट्रियल पार्क रेटिंग सिस्टम (आईपीआरएस), नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम का सॉफ्ट लॉन्च (एनएसडब्ल्यूएस) आदि।
- (ii) भारत के ‘आत्मनिर्भर’ बनने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए और भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 से शुरू होने वाले विनिर्माण के 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के लिए केंद्रीय बजट 2021-22 में 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय की घोषणा की गई थी।
- (iii) भारत सरकार के सभी संबंधित मंत्रालयों/विभागों में परियोजना विकास कक्षों (प्रोजेक्ट डेवलपमेंट सेल्स-पीडीसी) के रूप में तेजी से निवेश के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया गया है।
- (iv) सरकार की मेक इन इंडिया पहल जो वर्तमान में मेक इन इंडिया 2.0 के अंतर्गत 27 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती है, के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने और देश में विदेशी एवं घरेलू निवेश दोनों को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालयों, राज्य सरकारों और विदेशों में भारतीय मिशनों के माध्यम से निवेश आउटरीच गतिविधियां की जाती हैं।
यह जानकारी केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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