Singrauli News: देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मध्य प्रदेश (Madhaya Pradesh) का सिंगरौली जिला (Singrauli) लगातार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कोयला और बिजली उत्पादन में अव्वल रहने वाली इस ऊर्जाधानी का योगदान अब कुछ नए कोयला खदानों (Coal Mines) के प्रतिस्पर्धी निविदा के द्वारा आवंटन से और अधिक बढ़ने की उम्मीद है।
दरअसल, जिले में नौ अन्य कोयला खदानें (Coal Mines) जो पहले ही आवंटित हो चुकी है, उसके जल्द चालू होने की संभावना जताई जा रही है। जिनमें महान, मारा II महान, गोंडबहेरा उझेनी, बंधा नार्थ, डोंगरी ताल II, मर्की बरका, गोंडबहेरा उझेनी ईस्ट, बंधा और धिरौली खदानों के संचालन शुरू होने से न केवल कोयला उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी के साथ खननकर्ता कंपनियों के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। उल्लेखनीय है कि इन खदानों (Coal Mines) के शुरू होने से सिंगरौली से होनेवाले कोयले के उत्पादन में सालाना करीब 30 मिलियन टन की बढ़ोतरी होगी।
वहीं भारत सरकार द्वारा वाणिज्यिक खनन के लिए कुछ अन्य ब्लॉक जैसे सरई ईस्ट (नार्थ) एवं सरई ईस्ट (साउथ) के लिए नीलामी की प्रक्रिया चल रही है। मुख्य रूप से जिले की पहली प्रस्तावित भूमिगत खदान, गोंडबहेरा उझेनी में पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से खनन प्रक्रिया लागू की जाएगी, जो पर्यावरण और स्थानीय निवासियों को प्रभावित किए बिना कोयले उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ स्थानीय विकास और प्रदेश व देश के राजस्व में बढ़ोतरी का कारण बनेगा।
कोयला मंत्रालय ने गोंडबहेरा उझेनी ब्लॉक जैसी खदानों (Coal Mines) के कई मायनों में लाभदायक सिद्ध होने की उम्मीद जताई है। भूमिगत खनन के दौरान वन क्षेत्र को हटाने या लोगों को विस्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे प्राकृतिक संसाधनों और वन्य जीवन का संरक्षण होता ही है, साथ ही पुनर्वास और पुनर्स्थापना की भी कोई आवश्यकता नहीं पड़ती।
यह भूमि के कटाव या क्षति को रोकने में भी सहायक होती है, जिससे ऊपरी उपजाऊ मृदा सुरक्षित रहती है। प्रदुषण के मामले में भी यह खनन प्रक्रिया असरदार साबित होती है, जिससे जल प्रदूषण भी कम होता है, और शोर-शराबा भी अपेक्षाकृत कम रहता है, जो खनन क्षेत्र का पर्यावरण शांतिपूर्ण और संतुलित बनाए रखने के लिए आवश्यक है। एक ख़ास बात यह भी है कि भूमिगत खनन से बेहतर गुणवत्ता का कोयला प्राप्त होता है, जिसे गुणात्मक रूप से श्रेष्ठ माना जाता है। यह सीधे तौर पर उच्च श्रेणी के कोयले के आयात को कम करने में सहायक सिद्ध होगा, जिसके माध्यम से देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सकेगा।
आनेवाले दिनों में कुछ अन्य कोयला खदानों की नीलामी भी सिंगरौली जिले (Singrauli) के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इससे सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी, जिसका उपयोग जिले के विकास कार्यों में किया जाना संभव होगा। इन नीलामियों से प्राप्त होने वाले राजस्व से सिंगरौली (Singrauli) में सड़कों, अस्पतालों, और शिक्षा संस्थानों जैसे बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी की उम्मीद की जा सकती है, जिससे स्थानीय निवासियों को बेहतर सुविधाएं तो मिलेंगी ही साथ ही उनकी जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव लाये जा सकेंगे।
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