Singrauli News: सिंगरौली जिले में भू-अर्जन और मुआवजे में भारी भ्रष्टाचार को लेकर हाईकोर्ट जबलपुर ने सिंगरौली कलेक्टर के खिलाफ काफी सख्त रुख अपनाते हुए टिप्पणी की है।
ये पूरा मामला ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना से जुड़ा है। जानकारी के अनुसार, ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना में ग्राम छीवा निवासी प्रभावित चित्रसेन द्विवेदी उर्फ शास्त्री की जो जमीन है उस पर निर्मित मकान का मुआवजा किसी तीसरे व्यक्ति को दे दिया गया। इस मामले को लेकर पीड़ित हाईकोर्ट की शरण में चला गया और याचिका दायर की। इस पर मंगलवार को हाईकोर्ट में जब सुनवाई हुई तो हाईकोर्ट ने मामले में सिंगरौली कलेक्टर को व्यक्तिगत हलफनामा देने के साथ सुनवाई में पेश होने कहा।
लेकिन मंगलवार की सुनवाई के दिन सिंगरौली कलेक्टर हाईकोर्ट नहीं पहुंचे और उनकी जगह पर अधिवक्ता उपस्थित हुए।
वहीं मामले में याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल बेंच ने सिंगरौली जिले में में भू-अर्जन व मुआवजे में व्यापक भ्रष्टाचार पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, बिना जमीन क्रय और दाखिल खारिज के किसी तीसरे के नाम मुआवजा कैसे बना दिया गया। भू-अर्जन अधिनियम 2013 में ये प्रावधान कहां है बताइए। क्या स्टांप पर एग्रीमेंट कर बनाए गए मकान का समझौता करने वाला मालिक हो गया?
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल के सख्त रुख को देखते हुए अधिवक्ता ने जवाब देने का प्रयास किया तो वह बोल बैठे ऐसे अन्य कई प्रकरण हैं। इस पर न्यायमूर्ति श्री अग्रवाल ने कहा कि तब तो ये विषय CBI जांच का हो जाता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने अधिवक्ता से कहा कि आज शाम 4 बजे तक याचिकाकर्ता के खाते में धनराशि का भुगतान कर जानकारी दें। मामले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एलपी मिश्रा व अरुण द्विवेदी उपस्थित हुए।
वहीं, सिंगरौली जिले में भू-अर्जन और मुआवजे को लेकर हाईकोर्ट का रुख सामने आया है वह परिक्षेत्र में भी लोगों के बीच बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है।