Singrauli News: सिंगरौली जिले की देवसर न्यायालय में पदस्थ चतुर्थ श्रेणी जिला जज दिनेश कुमार शर्मा के कार्यों की जांच के निर्देश जबलपुर उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने दिया है।
जानकारी के अनुसार, सिंगरौली के प्रधान जिला जज को यह जांच पूरी कर 3 महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही जिला जज दिनेश कुमार शर्मा पिछले पांच वर्षों में जहां – जहां पदस्थ रह चुके हैं वहां भी इनके कार्यों से जुड़े दस्तावेजों का बारीकी से निरीक्षण कर रिपोर्ट देने के लिए उच्च न्यायालय ने प्रधान जिला जज सिंगरौली को निर्देशित किया है।
सिंगरौली जिले की देवसर न्यायालय में पदस्थ चतुर्थ श्रेणी जिला जज दिनेश कुमार शर्मा के कार्यों की जांच के ये निर्देश जस्टिस विवेक अग्रवाल ने दिया है, ये निर्देश उन्होंने जमीन अधिग्रहण से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया है।
दरअसल, सिंगरौली जिले के निवासी मंगलशरण की डायवर्टेड जमीन का अधिग्रहण वर्ष 2019-20 में किया गया था। याचिकाकर्ता को मुआवजा डायवर्टेड जमीन के हिसाब से दिया जाना था। मुआवजे का नोटिस मिलने के बाद असंतुष्ट याचिकाकर्ता ने भू अर्जन अधिनियम 2013 की धारा 64(1) के तहत कलेक्टर को आवेदन दिया था। मंगलशरण के अनुसार उनकी जिस जमीन का अधिग्रहण किया गया था वह डायवर्टेड थी इसलिए उन्हें उस हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिए था। आवेदन पर नियमानुसार 30 दिन के भीतर निराकरण नहीं किया गया तो इस मामलें को देवसर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। जिला जज ने कलेक्टर के रेफरेंस न होने का हवाला देकर याचिकाकर्ता का आवेदन निरस्त कर दिया था।
जिला जज के आदेश को अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा की ओर से उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। जिस पर जस्टिस विवेक अग्रवाल ने जिला जज को पुनः मामले की सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं।
अहम बात ये है कि उच्च न्यायालय ने यह भी माना है कि चतुर्थ श्रेणी जिला जज दिनेश कुमार शर्मा 2013 के भू अर्जन अधिनियम की धारा 64 के प्रावधानों को पढ़ने में असफल रहे।