15 बाय 20 के हाल में लग रही पांच कक्षाएं, 70 विद्यार्थियों को पढ़ाते 2 टीचर

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स्कूल में अलग अलग कक्षाओं के लिए अलग अलग क्लास रूम की जरुरत है लेकिन एक साथ एक ही कक्ष में 70 से अधिक छात्रों को पढ़ाया जा रहा है। एक साथ इन सभी छात्रों को पढ़ाने में शिक्षकों के पसीने छूट रहे है। अनुमानित 15 बाय 20 के बरामदे में छात्रों को अध्ययन कराया जा रहा है। स्कूल के अंदर एक छोटा सा पेपरशीट का बोर्ड लगा रखा है। इस बोर्ड के अंदर विद्यार्थियों से लेकर शिक्षकों की जानकारी दी गई है। बाहर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि किसी का घर है। स्कूल के छात्रों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, सुविधागृह भी नहीं है। जिम्मेदारों की इस लापरवाही से कई छात्रों को भविष्य दांव पर है।

कक्षाओं में विद्यार्थियों की स्थिति – कक्षा पहली में 7। – दूसरी में 13 – तीसरी में 16 – चौथी में 2111 साल पहले बनी थी निर्माण शिक्षक ने बताया कि प्राथमिक स्कूल भवन को लेकर पिछले कई सालों से जिम्मेदारों को अवगत करा रहे है। वर्ष 2014 में तत्कालीन नगर निगम शिक्षा समिति के अध्यक्ष गोपाल मालू ने स्कूल के पास आंगनवाड़ी में भवन का निर्माण कार्य करने के लिए नगर निगम को प्रस्ताव दिया था। योजना थी कि जब स्कूल में नीचे ग्राउंड फ्लोअर पर आंगनवाड़ी संचालित हो जाएगी और पहली मंजिल पर स्कूल बन जाएगा। आंगनवाड़ी में ग्राउंड फ्लोर पर एक बड़ा हॉल और पहली मंजिल पर पांच कक्षा बनाने का प्रस्ताव तैयार था, लेकिन किसी कारणवश काम अधूरा रह गया है।मेनरोड पर स्कूल, 24 घंटे चलता है ट्रैफिक, हादसे का बना रहता है अंदेशा

स्कूल के ठीक सामने मेनरोड है। इस शासकीय स्कूल में 70 से अधिक बच्चे पढ़ते है, जहां छात्रों की सुरक्षा से भी खिलवाड़ हो रहा है। इस मार्ग से दिनभर बड़े वाहनों की आवाजाही होती है। स्कूल मेनरोड पर होने से हादसे का अंदेशा बना रहता है। स्कूल के पास मेनरोड संंकरी हो गई है, जिससे ट्रैफिक जाम की भी समस्या बनी रहती है। गड़बड़ी पुलिया स्थित मेनरोड पर कई कॉलोनियों और टाउनशिप में आवाजाही के लिए एक मात्र रास्ता यहीं है। छाटे-बड़े वाहन तेज रफ्तार से आना-जाना करते है, जिम्मेदारों कि लापरवाही से किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है।

10 साल से कर रहे मांग10 साल से स्कूल के निर्माण कार्य को लेकर अवगत करा रहे है, जनप्रतिनिधियोंं को भी जानकारी दी है। नगर निगम के जिम्मेदार भी स्कूल के लिए निरीक्षण करने आए थे, लेकिन इसके बाद बात आगे नहीं बढ़ी।-कृष्णकांत आर्य, प्रधान पाठक



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