एक्सपर्ट्स कहते हैं यदि 27 डिग्री सेल्सियस पर तापमान सेट किया जाए तो सालभर में 3000 यूनिट बिजली की बचत की जा सकती है। राशि में ये करीब 24 हजार रुपए की बचत होगी। इससे बिजली की बड़ी बचत के साथ स्वास्थ्य और पर्यावरण को राहत की बातें भी कही जा रही है।
यहां एसी के लिए मानक
जापान, इटली, स्पेन, साउथ कोरिया में एसी के तापमान के सख्त नियम है। जापान में डिफॉल्ट सेटिंग 26 डिग्री है, जबकि इटली में ये 23, स्पेन में 27 डिग्री है।
ऐसे समझें एसी का गणित
● एसी की क्षमता ब्रिटिश थर्मल यूनिट में मापी जाती है। 1.5 टन का एसी 18000 बीटीयू का होता है। जब बाहर का तापमान ज्यादा और एसी की गति कम होती है तो कूलिंग में ज्यादा भार पड़ता है। बाहर का तापमान 38 डिग्री पर हो तो एसी बेहतर काम करता है।
● 18 डिग्री पर 1.5 टन का एसी सामान्य से 24 फीसदी ज्यादा बिजली खर्च करता है। प्रति डिग्री कम करने पर तीन से छह फीसदी भार बढ़ता है। रोजाना आठ घंटे चले तो माह में 446 यूनिट बिजली खर्च करता है। 3571 रुपए का बिजली बिल बनता है।
● 27 डिग्री पर 1.5 टन का एसी आठ घंटे में आठ यूनिट बिजली खर्च करता है। माह में ये 240 यूनिट बनती है। आठ रुपए प्रतियूनिट से बिल 1920 रुपए बनेगा। यानि 2100 रुपए अधिक की बचत होगी।
भोपालियों को 23 डिग्री पर पसंद है एसी
● भोपाल में 60 फीसदी यूजर्स एसी को 23 या इससे कम पर करके रखते हैं ।
● 18 से बढ़ाकर महज 20 डिग्री पर कर दिया जाए तो बिजली की खपत 12 फीसदी तक घट जाएगी ।
● एसी का एक डिग्री तापमान छह फीसदी बिजली खर्च बढ़ाता है।
● एसी बाहर की अपेक्षा अंदर के तापमान को 10 से 20 फीसदी ही घटा सकता है।
20 से 28 के बीच एसी तो ये लाभ
● हर डिग्री सेल्सियस पर छह फीसदी बिजली बचत ।
● पॉवर ग्रिड पर दबाव घटेगा ।
● बहुत ठंडा तापमान सेहत के लिए ठीक नहीं है, 20 से 28 के बीच तापमान सेहत भी ठीक रखता है।
● एसी की लाइफ बढ़ती है, बार-बार मेंटेनेंस नहीं करना पड़ता है।
● भोपाल में बिजली की औसत खपत 80 लाख यूनिट के करीब है।