अन्य कई जगह भी छात्रों की संख्या में हर साल कमी हो रही है। ऐसे में शासकीय स्कूलों की संख्या भी घट रही है। ब्लॉक में कुल 376 प्राथमिक स्कूल संचालित हैं। जिनमें से वर्तमान में 49 स्कूलों में छात्रों की संख्या 10 से कम है। वहीं 100 से अधिक शालाओं में यह संख्या 20 से नीचे पहुंच चुकी है। इनमें किल्ला, बांकपूरा, कल्याणपुरा, कड़ियां चंद्रावत, धामधोर और पंचतलाई जैसे गांव प्रमुख हैं। जहां शालाएं शिक्षकों और छात्रों दोनों के अभाव से जूझ रही हैं। लेकिन कोई इन स्कूलों को बचाने और शासकीय स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने ध्यान नहीं दे रहे है। ऐसे में जल्द ही ये स्कूल भी बंद हो जाएंगे।
जर्जर भवनों में पढ़ते हैं छात्र
कुछ शालाओं की स्थिति भवन की दृष्टि से भी चिंताजनक है। बड़ल्या गांव में जर्जर भवन के कारण पिछले कई वर्षों से मंदिर में कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। चार सालों से हर बार भवन स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा जाता है। लेकिन नया भवन स्वीकृत ही नहीं हो पा रहा है। रामपुरिया गांव में भी स्कूल सामुदायिक भवन में चल रहा है, क्योंकि शाला भवन उपयोग लायक नहीं बचा है। ऐसे में पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने से भी शासकीय स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही है।
शिक्षक नहीं देते ध्यान
दरअसल ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में में पदस्थ शिक्षक कई जगह केवल हाजिरी लगाने आते है। उनको छात्रों और उनकी शिक्षा से कोई मतलब नहीं है। साथ ही यहां पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं मिलती है। यही कारण है कि अभिभावक अपने बच्चों को शासकीय स्कूल में भेजना कम ही पसंद करते है।
सीएम राइज प्रोजेक्ट से बंद हो जाएंगे कई स्कूल
शासन स्तर पर भी अब नई नीति पर काम हो रहा है। सीएम राइस स्कूल के आसपास संचालित ऐसे स्कूल, जिनमें छात्र संख्या 10 से कम है, उन्हें बंद किया जाएगा। विद्यार्थियों को निकटवर्ती सीएम राइस स्कूल में स्थानांतरित किया जाएगा। ऐसे में जल्द ही आगामी समय में ऐसे कई स्कूल बंद हो जाएंगे।
बच्चों की संख्या कम होने से कुछ स्कूल बंद हुए है। इस सत्र में जहां संख्या कम है सभी को बढ़ाने का लक्क्ष्य दिया है। जर्जर भवनों को लेकर प्रस्ताव भेजा है। जैसे ही स्वीकृति मिलेगी, मरमत कराएंगे। – सुरेंद्र सिंह भदोरिया, बीआरसी, नरसिंहगढ़