बिहार चुनाव से करो शुरुआत
उन्होंने कहा कि चुनाव का वक्त आ चुका है। इसलिए सभी गौ सेवकों को एक एक वोट गाय के नाम से तैयार करना होगी और इसी शुरुआत बिहार चुनाव (2025 Bihar elections) से करना होगी। इस चुनाव में गौ माता के प्रत्याशी को सभी विधानसभा सीट से बड़ा करना होगा। इसी से निर्धारण होगा कि गौ माता के नाम पर कितनी वोट चुनाव में प्राप्त होगीं। जब वोट का डर मजबूती से तैयार हो जाएगा। तभी देश में गौहत्या पर रोक लग सकती है।
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गाय को माता मानने वाला ही असली सनातनी- अविमुक्तेश्वरानंद
शंकराचार्य ने कहा कि जिन्होंने सनातन धर्म को अपने जीवन में अपनाया है। उसके लिए गाय ही माता है। जो सनातन धर्म को नहीं मानता है। उसके लिए गाय माता का रूप नहीं हो सकती है। सनातन धर्मी गाय की सेवा आशीर्वाद के लिए करता है, दूध के लिए नहीं करता है। इसलिए सनातन धर्मी का पहला काम गौ की रक्षा और सेवा करना ही है। आपने कहा कि गाय और गर्वे दो प्रकार की नस्ल हो गई है।
उन्होंने आगे कहा कि इसलिए गाय और गर्वे में भेद करना है, क्योंकि दो प्रकार की गाय हो गई है जिससे मूल गाय की पहचान विलुप्त होती जा रही है। आपने कहा कि गर्दै गाय का मूत्र एवं गोबर पवित्रता की श्रेणी में नहीं आता है। आपने कहा कि बिना गोत्र के कोई हिन्दू नहीं हो सकता है। भले ही वह कोई भी भाषा का उपयोग करता हो। आपने कहा कि आज की नई पीढ़ी की समझ में नहीं आ रही है कि गाय ही हमारी माता है। नई पीढ़ी अपनी संस्कृति, वेशभूषा और भाषा को खोती जा रही है।
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दिल्ली में होगा यात्रा का समापन
अखिल भारतीय सर्वदलीय गोरक्षा महा अभियान समिति दिल्ली के द्वारा 33 दिवसीय गो संकल्प पदयात्रा ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती की समाधि स्थल से शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के आशीर्वाद से निकाली गई। जिसका 18 जुलाई को दिल्ली में समापन होगा।
इस समिति के सदस्य स्वामी त्रिभुवनदास ने पत्रिका को बताया कि यह वही संस्था है जिसने गो हत्या के रोक के लिए 1966 में संसद भवन में आंदोलन किया था। जिसमें कई संत शहीद हुए थे। यात्रा के संयोजक अनुराग भार्गव है। गौ संकल्प पदयात्रा में बीच बीच में शंकराचार्य सदानंद एवं शंकराचार्य भारती तीर्थ हिस्सा लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगें।