
पैंतिस साल की गाढ़ी कमाई स्क्रैप में बदली शकर तालाब में अतिक्रमण कारियों की गाढ़ी कमाई चंद मिनट में ही मलबे में तब्दील हो गई। कार्रवाई में 114 से अधिक परिवारों के सिर से छत छिनने के साथ ही कई सालों की कमाई स्क्रैप में बदल गई है। अफसरों के जाते ही अतिक्रमण कारियों का कुनबा मलबे में दबे स्र्कैप निकालने में जुट गया। कोई टूटी छत और सीमेंट से सरिया निकाल रहा है। तो कोई दरवाजा, खिड़की, टीन शेड को एकत्रित करने में जुटा रहा। कोई ईंट, पत्थर, लकड़ी एकत्रित कर शिफ्ट करने में लगा रहा। इस बीच आपदा में अवसर जैसी स्थिति बनी। अतिक्रमण दल के हटते ही कबाड़ी इलेक्ट्रानिक तराजू लेकर पहुंच गए।

स्क्रैप को औने-पौने दाम पर खरीदे अतिक्रमण की कार्रवाई के दौरान कुछ बच्चे सरिया, प्लास्टिक आदि छोटी-छोटे सरिया के टुकड़े लेकर आस-पास में कबाडिय़ा की दुकानों पर पहुंचे। बच्चों को 10 से 20 रुपए देकर ले लिया। स्थल पर कबाड़ी टीन शेड 20 से 23 रुपए प्रति किलो, सरिया 25 से 28 रुपए प्रति किलो और प्लास्टिक 10 से 15 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदने में जुटे रहे।

हर मकान में पांच से दस क्विंटल स्क्रैप सिराज खान ने बताया कि बीस साल पहले मकान का निर्माण कराने में आठ क्विंटल सरिया, पांच क्विंटल दरवाजा लगा। मकान गिरा दिए जाने से मलबा में दब गया। अब सरिया किसी काम की नहीं है। दरवाजा काम में आ जाएगा। सरिया रखने की जगह नहीं मिल रही। कबाड़ी ने 28 से 30 रुपए किलो की दर से खरीदा है। सैयद ने बताया कि टीन शेड 20 रुपए किलो की दर से लिया। जबकि इनकी कीमत बाजार में डेढ़ गुना है।
ऐसे समझें दो करोड़ का स्क्रैप -अतिक्रम स्थल पर 110 परिवारों का मलबे में तब्दील हो गया। प्रति पक्के मकान में लोहे की मात्रा यदि 10 क्विंटल का औसत लिया जाए तो जाए तो एक लाख 10 हजार क्विंटल लोहा होता है। इसकी कीमत प्रति किलो 30 रुपए का औसत से 33 लाख रुपए होती है। 30 टन टीन शेड निकला है। 25 रुपए प्रति किलो की दर से इसकी कीमत 62 लाख 5 हजार रुपए होती है। सरिया और टीन शेड की औसत कीमत एक करोड़ रुपए हो रही है। इसी तरह ईंट, पत्थर, लकड़ी आदि सामग्री की कीमत एक करोड़ रुपए से अधिक होगी। कुल मिलाकर दो करोड़ रुपए से अधिक का स्क्रैप निकला है।