गरीबों की रोजी रोटी हटाने की तैयारी में प्रशासन

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पीडि़तों ने बताई व्यथा

पीडि़त दुकानदारों ने बताया कि वे कमरा किराया प्रतिमाह दे सकते हैं, लेकिन पगड़ी की राशि जमा नहीं कर सकते। आज के इस महंगाई के दौर में परिवार का पालन पोषण करना और बच्चों की पढ़ाई सहित अन्य कार्य बड़ी मुश्किल से हो पाते हैं। प्रशासन के इस तरह के कदम से जनपद वर्षों से चाय पान की दुकानों का संचालन करने वाले लोगों के लिए परेशानियां खड़ी हो गई हैं।

स्वयं ही हटा रहे अपनी दुकानें

पीडि़त दुकानदार पहले तो एसडीएम के मौखिक रूप से दिए आदेश पर अपनी दुकानें नहीं हटा पाए थे। लेकिन अब एसडीएम ने लिखित में फरमान जारी किया है। प्रशासनिक कार्रवाई के डर से बेबस एवं लाचार दुकान संचालक स्वयं ही अपनी-अपनी झोपड़ीनुमा दुकानें हटाने का काम कर रहे हैं।

प्रभावितों के आरोप

पीडि़त दुकानदारों का आरोप है की कमरों के आबंटन में डेढ़ से दो लाख रुपए तक पगड़ी पहले जमा करवाया जाएगा, जो रकम जमा करेगा उसी को कमरें प्रदान किए जाएंगे। प्रभावितों के अनुसार छोटे-छोटे कामकाज कर परिवार का लालन पालन करने वाले कैसे इतनी बड़ी राशि जमा कर कमरा ले पाएंगे। आरोप है की वाजिब लोगों को कमरें नहीं मिल पाएंगे। जो पैसे वाले बड़े कारोबारी है, उन्हें दुकानें आवंटित कर दी जाएगी।

इनका कहना है।
जनपद के सामने मेरी चाय पान की कच्ची दुकान है। एसडीएम ने दुकानें हटाने नोटिस जारी किया है। इस कारण दुकान हटा रहे हंै। कमरा देने के संबंध में अभी कोई बात नहीं हुई है।
गोविंद उके, पीडि़त

अध्यक्ष जी ने 8 दुकानदारों को पहले कमरा देने का आश्वासन दिया है। लेकिन उसके लिए कितनी पगड़ी की राशि जमा करनी पड़ेगी या नहीं, किराया कितना होगा। सामान्य सभा की मीटिंग में तय होने की बात कही है।
हालकचंद दमाहे, होटल संचालक

जनपद के सामने मेरी चाय पान की दुकान हैं। एसडीएम साहब ने दुकानें हटाने के लिए बोला है, तो दुकानें हटा रहे है। हम रोज कमाते खाते हैं, कमरे के लिए पगड़ी नहीं दे सकते।
दीपक हुमने, चाय दुकानदार



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कुछ छूट न जाए ....

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