हालात ये हैं कि, 4 साल से किसी से केवल आवेदन मंगाए जा रहे हैं तो किसी से कहा गया कि चालीस साल पुराना रिकॉर्ड लेकर आओ। राजधानी में एक-एक सुपर स्पेशलिटी, 6 बड़े अस्पताल और 16 डिस्पेंसरी हैं। करीब 5 हजार लोग यहां हर रोज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
क्या है स्मार्ट कार्ड, कहां परेशानी?
स्मार्ट कार्ड गैस पीड़ितों को दिए जा रहे हैं। इस कार्ड में उनका पूरा ब्योरा होता है, जो उनके उनके इलाज और बीमारी से जुड़ा है। एक नंबर के आधार पर पीड़ितों का पूरा रिकार्ड चिकित्सक जान सकते हैं। इलाज में आसानी के लिए इसे लागू किया गया है। गैस पीड़ितों का वेरिफिकेशन के लिए मुआवजा आदेश के दस्तावेज लगाना जरूरी है। याद हो कि, ये 40 साल पहले बनाए गए थे।
स्मार्ट कार्ड बनवाने के लिए ये दस्तावेज जरूरी

गैस राहत विभाग के सीएमओ सत्येन्द्र राजपूत का कहना है कि, स्मार्ट कार्ड के लिए प्रोरेटा आदेश, आधार कार्ड, फोटो समेत कुछ दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है। इसके आधार पर ही इसे जारी किया जाता है। स्मार्ट कार्ड पर आधार कार्ड के समान के विशेष नंबर अंकित होता है। नंबर के माध्यम से संबंधित गैस पीड़ित का पूरा ब्योरा, उसकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री पता चल जाती है। ये संबंधित अस्पताल में चिकित्सकों द्वरा दिए जाने वाले इलाज में कारगर रहती है।
अस्पतालों के चक्कर काट रहे गैस पीड़ित
गैस पीड़ित मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव के अनुसार, स्मार्ट कार्ड के लिए पीड़ित अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। इलाज में परेशानी आ रही है। इसके लिए व्यवस्था की जाना चाहिए। पुराने दस्तावेज दिखाने पर इलाज होता है।