महिलाओं की ‘किटी’ से जरूरतमंदों को संबल, हर माह मिल रही 66-66 हजार की मदद

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किटी पार्टी से हर माह 66 हजार रुपए की मदद

समाज की वरिष्ठ और युवा महिला समितियों की 22-22 सदस्याएं हर माह एकत्रित होकर किटी पार्टी आयोजित करती हैं। हर सदस्य द्वारा 3000 रुपए का मासिक योगदान किया जाता है। इस तरह एक समिति 66000 रुपए की राशि एकत्र करती है और उसे जरूरतमंद महिला को देती है। चूंकि दोनों समितियां समानांतर चल रही हैं, इसलिए हर माह महिलाओं को कुल 1.32 लाख रुपए की सहयोग राशि दी जाती है, बिना किसी ब्याज, बिना किसी देरी के।

वृद्धों का इलाज और बच्चों की फीस जमा करने में कर रही मदद

इस सहयोग से अब तक कई महिलाओं ने अपने परिवार के बड़े-बुजुर्गों के इलाज कराए हैं, तो कुछ ने अपने बच्चों की फीस भरी है। समिति की सचिव रचना चौरसिया बताती हैं, हमारा मकसद केवल मदद करना नहीं, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भरता और सम्मान के साथ खड़ा करना है। जब किसी की आंखों में राहत की चमक देखते हैं, तो लगता है कि हमारी यह कोशिश सफल हो रही है।

सदस्याएं बनीं शक्ति की प्रतीक

वरिष्ठ महिला समिति में रश्मि, रचना, रितु, सरला, माया, कमलेश, शालिनी, शिल्पी, सुषमा, विमला, ममता, स्मिता, मीरा, निधि, रेखा, राखी, अंजली, अर्चना, ज्योति, स्वाति और राजकुमारी जैसी महिलाएं शामिल हैं, जबकि युवा समिति में दुर्गा, दीपाली, विनीता, नंदिता, संगीता, लक्ष्मी, नीलम, नेहा, मौसमी, गायत्री, चंद्रमुखी, भारती, सुलेखा सहित अन्य सक्रिय हैं।

समाज सेवा में भी आगे

यह महिलाएं केवल आपसी मदद तक सीमित नहीं रहीं। हाल ही में आयोजित टीबी मुक्त छतरपुर अभियान के तहत इन्होंने निक्षय मित्र योजना में हिस्सा लेते हुए 20 टीबी मरीजों को पोषण आहार किट वितरित कीं। इसके अलावा, समाज की महिलाओं ने आपस में 2-2 हजार रुपए एकत्र कर बस स्टैंड नंबर 1 पर एक वाटर कूलर भी स्थापित कराया, जिससे राहगीरों को भीषण गर्मी में राहत मिल रही है।

सकारात्मकता की परंपरा बन चुकी है यह पहल

पिछले 5 महीनों में रश्मि, विमला, दुर्गा, निधि और रचना चौरसिया जैसी कई महिलाओं ने अपने सहयोग से दूसरी महिलाओं की जिंदगी में आशा की किरण जगाई है। समाज में जब एक महिला किसी और महिला के हाथ थामती है, तो केवल आर्थिक सहयोग नहीं होता, एक विश्वास भी पनपता है, यही इस किटी का असल उद्देश्य है।

एक नई सामाजिक चेतना का जन्म

इस पहल ने यह सिद्ध किया है कि सामाजिक बदलाव किसी बड़े मंच या सरकारी योजना की मोहताज नहीं होता, जब महिलाएं संगठित होती हैं, तो वे न केवल अपने घरों को, बल्कि पूरे समाज को संवार सकती हैं। यह किटी अब केवल आर्थिक सहायता का माध्यम नहीं, बल्कि सशक्तिकरण, संवेदना और समाज सेवा का जीवंत उदाहरण बन चुकी है।



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