इजराइल की हर इमारत में सेफ हाउस
प्रतिभा, रोजाना रात 11 बजे (भारतीय समायानुसार) परिजनों को वीडियो कॉल करती हैं। वहां के हालात बताती हैं। वे कहती हैं कि इजराइली प्रशासन हमले से पहले हर नागरिक को अलर्ट मैसेज भेजता है। इसके मिलते ही नागरिकों को चंद मिनटों में जरूरी सामान लेकर बंकर में जाना होता है। वहां हर इमारत में इजराइल प्रशासन ने बंकर बना रखे हैं। ये बंकर आसमान से बरसती मिसाइलों से लोगों की सुरक्षा करते हैं।
ईरान से 285 और लौटे
ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान में फंसे भारतीयों को निकालने का सिलसिला जारी है। भारत का एक और विमान रविवार रात मशहद से 285 भारतीयों को लेकर नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा।
साहस देने में जुटे पिता
करगिल युद्ध में सेवाएं दे चुके प्रतिभा के पिता ओम प्रकाश सैनिक कल्याण बोर्ड में कार्यरत हैं। एक फौजी होने के नाते बेटी को समझते हैं कि हिम्मत रखे, लेकिन वे भी बेचैन हैं।
अभी सुबह के लगभग आठ बजे हैं। रात तो अच्छे से निकल गई। अभी 10 मिनट पहले ही मोबाइल पर अलर्ट आया। इसलिए हम लोग मामाद यानी बंकर में आ गए। हमले के दौरान यही सुरक्षा कवच है। यह कहना था सेंट्रल इजराइल के रेहोवोट शहर में फंसे झाबुआ के डॉ. अलकेश हाड़ा का। पत्रिका से व्हाट्स ऐप कॉल पर डॉ. हाड़ा ने बताया कुछ देर पहले ही ऐप पर अलर्ट आया। हम अभी बंकर में हैं। तेल अवीव से उनका शहर 30 किमी दूर है। उनके साथ पत्नी हिना और साढ़े 6 साल का बेटा जियान है।
मेघनगर के पास रंभापुर के रहने वाले हैं हाड़ा दपती
सचिन बैरागी की रिपोर्ट. डॉ. अलकेश और उनकी पत्नी हिना मूलत: मेघनगर के पास रंभापुर (किशनपुरा) के रहने वाले हैं। जिस दिन से इजराइल-इरान युद्ध शुरू हुआ उस दिन से एक तरफ डॉ. अलकेश के पिता शंकरसिंह व मां गोदावरीबाई तो दूसरी तरफ हिना के पिता अर्जुनसिंह नायक व मां सुमित्राबेन के साथ परिवार के अन्य सदस्य चिंता में हैं।
हमारा शहर पूरी तरह सेफ जोन में
डॉ. हाड़ा, इजराइल के मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट में कृषि वैज्ञानिक हैं। यहां पूरी तरह से अनिश्चिता और भय का माहौल है। वे सुरक्षित वापसी के लिए ऑपरेशन सिंधु में रजिस्ट्रेशन करवाया है। नंबर आते ही वे स्वदेश वापसी करेंगे।