इंदौर : Indore News: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को राहत मिली है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका एडवोकेट भूपेंद्र सिंह कुशवाह द्वारा दायर की गई थी। MP Honey Trap Case
MP Honey Trap Case याचिका में कमलनाथ के एक पुराने बयान का उल्लेख किया गया था जिसमें उन्होंने कहा था की हनी ट्रैप मामले की सीडी मेरे पास भी है। याचिकाकर्ता का तर्क था कि यह बयान गंभीर प्रकृति का है और इसकी जांच होनी चाहिए, क्योंकि यदि किसी व्यक्ति के पास इस तरह की संवेदनशील सामग्री है तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा और निजता के लिहाज़ से चिंता का विषय हो सकता है। हालांकि हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि यह याचिका केवल मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर दाखिल की गई है जो कि जनहित याचिका दायर करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है।
Indore News: अदालत ने कहा कि महज समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के आधार पर किसी के खिलाफ जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि क्या उन्होंने स्वयं कमलनाथ को यह बयान देते हुए सुना था जिस पर एडवोकेट कुशवाह ने इनकार कर दिया और बताया कि उन्होंने यह जानकारी केवल समाचारों के माध्यम से प्राप्त की थी। MP Honey Trap Case
क्या कमलनाथ के खिलाफ “हनी ट्रैप केस” में कोई कार्रवाई होगी?
नहीं, हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कमलनाथ के खिलाफ हनी ट्रैप केस को लेकर दायर जनहित याचिका निराधार है और उसे खारिज कर दिया गया है।
कमलनाथ ने “हनी ट्रैप सीडी” की बात कब कही थी?
याचिकाकर्ता ने यह बयान मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर बताया, लेकिन कोर्ट ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता ने स्वयं कमलनाथ से यह सुना, जिस पर उन्होंने इनकार कर दिया।
कोर्ट ने “जनहित याचिका” खारिज करने का क्या कारण बताया?
कोर्ट ने कहा कि केवल समाचार पत्रों या मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर जनहित याचिका दाखिल नहीं की जा सकती, जब तक कि कोई ठोस या प्रत्यक्ष प्रमाण न हो।
क्या “हनी ट्रैप सीडी” का मामला अभी भी चल रहा है?
हाँ, हनी ट्रैप केस की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राज्य पुलिस के स्तर पर चलती रही है, लेकिन इस याचिका का उससे प्रत्यक्ष संबंध नहीं था।
क्या “हनी ट्रैप मामले की सीडी” रखना अपराध है?
यदि कोई व्यक्ति संवेदनशील अथवा आपत्तिजनक सामग्री को गैरकानूनी रूप से अपने पास रखता है, तो वह साइबर कानून और आईटी एक्ट के अंतर्गत दंडनीय हो सकता है। लेकिन इस मामले में ऐसा कोई प्रमाण कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया गया।