जबलपुर: Jabalpur News: मध्य प्रदेश में मॉनसून आते ही एक बार फिर सड़कों पर आवारा गौवंश की मौजूदगी जानलेवा बन गई है। जबलपुर की सड़कों पर 6 जुलाई को हुए एक दर्दनाक हादसे ने न सिर्फ प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं बल्कि अब यह मुद्दा राजनीतिक गर्मी भी पैदा कर रहा है। बिलहरी रोड पर देर रात तेज रफ्तार कार की टक्कर से 5 गायों की मौत हो गई। यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई जिसने सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक बहस छेड़ दी है। सवाल यह है कि जब हर साल मॉनसून में यही हालात बनते हैं तो फिर समाधान क्यों नहीं निकलता?
Jabalpur News: मध्य प्रदेश गौसंवर्धन बोर्ड के पूर्व चेयरमैन स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने इस मुद्दे पर अपनी ही पूर्ववर्ती सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि यदि गौसंवर्धन बोर्ड को भंग न किया गया होता तो आज सड़कों पर गौवंश की ऐसी दुर्दशा नहीं होती। गिरि ने बताया कि उन्होंने प्रदेश में 10 गौवंश वन्य विहार स्थापित करने की योजना तैयार की थी और उसके लिए जमीन भी चिन्हित कर ली थी लेकिन मामला बजट में अटक गया। स्वामी गिरि ने अब सरकार से लाड़ली बहना की तर्ज पर लाड़ली गौमाता योजना शुरू करने की मांग की है। उनका तर्क है कि गाय भले ही वोट न दे सके लेकिन गौपालक वोटर हैं और अगर सरकार 400 करोड़ का निवेश कर दे तो यह न सिर्फ गौवंश के लिए बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ा कदम होगा।
Jabalpur News: अब इस मुद्दे ने कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छेड़ दी है। कांग्रेस के पूर्व विधायक संजय यादव ने कहा कि भाजपा और संघ के गौरक्षकों को अब सड़क पर उतरकर देखना और कुछ करना चाहिए क्योंकि गायों पर राजनीति वही करते हैं। इधर भाजपा ने पलटवार किया और कहा कि सनातन विरोधी कांग्रेस गौवंश पर सियासी संवेदना दिखा रही है। भाजपा प्रवक्ता डॉक्टर वाणी अहलूवालिया ने कहा कि मोहन सरकार प्रदेश में गौपालन और दुग्ध उत्पादन पर बोनस देकर गौ आधारित अर्थनीति बनाने की दिशा में काम कर रही है जिसे कुछ समय तो देना होगा।
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Jabalpur News: हर साल मॉनसून के दौरान जब खेत-खलिहान और मैदान भीग जाते हैं, तो निराश्रित और पालतू गौवंश सड़कों को अपना ठिकाना बना लेता है। इससे न सिर्फ ट्रैफिक बाधित होता है, बल्कि सड़क हादसे भी बढ़ जाते हैं। इस स्थिति के लिए जहां प्रशासन जिम्मेदार है वहीं पशुपालकों की भी लापरवाही सामने आती है जो अपने पालतू पशुओं को खुला छोड़ देते हैं। गाय को लेकर मध्यप्रदेश की राजनीति में हमेशा ‘तपिश’ रही है, लेकिन ज़मीनी हालात आज भी जस के तस हैं। अब जबकि खुद सरकार के भीतर से ही सवाल उठने लगे हैं, देखना यह है कि क्या इस बार सिर्फ सियासत होगी या वाकई में गौवंश के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे।
“गौवंश सड़कों पर क्यों देखे जाते हैं, खासकर मॉनसून में?”
मॉनसून के दौरान खेतों और चारागाहों में कीचड़ हो जाने के कारण गौवंश अक्सर सड़कों पर आ जाते हैं, जहां उन्हें सूखी जगह और खाना मिल सकता है। यह स्थिति खासकर तब बनती है जब पशुपालक अपने पशुओं को खुला छोड़ देते हैं।
“गौवंश संरक्षण” के लिए मध्यप्रदेश सरकार क्या कदम उठा रही है?
मौजूदा सरकार द्वारा गौपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बोनस योजनाएं शुरू की गई हैं। साथ ही “गौसंवर्धन बोर्ड” को लेकर भी पुनर्विचार हो रहा है।
“लाड़ली गौमाता योजना” क्या है और क्या यह लागू हो गई है?
“लाड़ली गौमाता योजना” एक प्रस्तावित योजना है जिसे स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने सरकार से शुरू करने की मांग की है। इसका उद्देश्य गौवंश की सुरक्षा और गौपालकों को आर्थिक सहयोग देना है। फिलहाल यह योजना लागू नहीं हुई है।
क्या “गौसंवर्धन बोर्ड” अभी भी सक्रिय है?
नहीं, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पहले से गठित गौसंवर्धन बोर्ड को पूर्व में भंग कर दिया गया था। वर्तमान में इस पर पुन: विचार की मांग उठ रही है।
“गौवंश” से जुड़ी सड़कों पर दुर्घटनाओं को रोकने के क्या उपाय हैं?
इसके लिए स्थायी गौशालाओं का निर्माण, गौवंश वन्य विहार, पशुपालकों पर निगरानी और स्थानीय प्रशासन की सक्रियता जरूरी मानी जा रही है। साथ ही CCTV और GPS निगरानी का भी सुझाव दिया जा रहा है।