पानी को केवल उपभोग की दृष्टि से देखा जाता है, संरक्षण की चिंता नहीं की जाती: प्रह्लाद पटेल |

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भोपाल, एक अगस्त (भाषा) मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने शुक्रवार को कहा कि पानी को केवल उपभोग की दृष्टि से देखा जाता है और इसके संरक्षण की चिंता नहीं की जाती।

उन्होंने इस सोच को बदलने का आह्वान करते हुए सरकार की योजनाओं में ‘अत्यधिक भौतिकवादी’ दृष्टिकोण का भी उल्लेख किया और कहा कि अब समय आ गया है कि जंगलों, वन्यजीवों और नदियों जैसे अमूल्य संसाधनों के संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए।

पटेल यहां ‘ग्रामीण परिवर्तन की नई परिकल्पना: महिलाओं की सुरक्षा, समावेशिता और सामुदायिक जुड़ाव’ पर केंद्रित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम का आयोजन ‘ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया’ ने भोपाल स्थित भारतीय वन प्रबंधन संस्थान के सहयोग से किया। उन्होंने कहा, “हम पानी को केवल उपभोग की दृष्टि से देखते हैं, उसकी उत्पत्ति और संरक्षण की चिंता नहीं करते। यह सोच हमें बदलनी होगी।”

पटेल ने सवाल उठाया कि क्या हम अपनी पुरानी गलतियों को स्वीकार कर रहे हैं और क्या हम उनसे सीखकर भविष्य की योजना में उन्हें शामिल कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि एक सुरक्षित व सुखद जीवन केवल भौतिक साधनों पर नहीं बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण, न्यायसंगत और सतत उपयोग पर आधारित होता है। पटेल ने कहा कि तकनीक जीवन को बेहतर बना सकती है लेकिन वह मानव मूल्य, श्रम और संवेदना का स्थान नहीं ले सकती। मंत्री ने सरकार की योजनाओं में अत्यधिक भौतिकवादी दृष्टिकोण की ओर संकेत करते हुए कहा, “अब समय आ गया है कि हम जंगलों, वन्यजीवों और नदियों जैसे अमूल्य संसाधनों के संरक्षण को प्राथमिकता दें।”

उन्होंने नर्मदा परिक्रमा पथ और पारंपरिक जीवन मूल्यों की चर्चा करते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में 92 नदियों के उद्गम स्थल चिह्नित किए जा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश आदिवासी क्षेत्रों में स्थित हैं।

पटेल ने कहा, “आज भी शिवरात्रि जैसे पर्वों पर आदिवासी इन स्थलों की पूजा करते हैं, लेकिन पढ़े-लिखे लोग इनसे पूरी तरह कट चुके हैं।”

भाषा ब्रजेन्द्र जितेंद्र

जितेंद्र

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