दिसंबर माह की शुरूआत में Singrauli के कलेक्ट्रेट में जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई थी, जिसमें रेलवे के अधिकारियों ने एक सप्ताह में लैंड पजेशन शुरू करने का आश्वासन दिया था, मगर यह प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पाई है। कुछ गांवों में छूटे रकबों के अर्जन के साथ अभी हो रहा है मुआवजे का वितरण। उधर, नौकरी को लेकर विस्थापितों ने कोर्ट की शरण लेनी शुरू कर दी है। ऐसे में नहीं लगता कि सीधी व सिंगरौली तक लाइन बिछाने में एक दशक भी लग जाएंगे।
वैसे तो सिंगरौली में रेल लाइन है। दूरदराज के लिए कुछ यात्री ट्रेनों की भी सुविधा है, पर सीधी जिला अब इस सुविधा से वंचित है। ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन की आज से चार दशक पूर्व परिकल्पना की गई थी। जो खंडवार धरातल पर उतर रही है। इसी क्रम में जनवरी तक गोविंदगढ़ तक रेल परिचालन शुरू करने की तैयारी चल रही है। इधर, सीधी व सिंगरौली में अभी रेल लाइन बिछाने की प्रक्रिया भू-अर्जन और मुआवजा वितरण तक ही सिमटी हुई है। इसके अलावा अब जिले के रेलवे विस्थापितों ने नौकरी को लेकर कोर्ट की राह पकडऩी शुरू कर दी है। नौकरी को लेकर पश्चिम मध्य रेलवे की ओर से जारी विज्ञापन के तहत जिन विस्थापितों के दस्तावेजों का सत्यापन हो चुका है उन लोगों ने याचिकाएं लगानी शुरू की हैं। इन स्थितियों को देखते हुए यह नहीं लगता कि अगले एक दशक तक सीधी और सिंगरौली तक रेल लाइन बिछ पाएगी। ऐसे में सीधी से सिंगरौली के देवसर और चितरंगी होकर यात्री ट्रेन चलने की अगले कुछ वर्ष में संभावना नहीं दिख रही है। अभी तो रेल अधिकारियों का पूरा ध्यान गोविंदगढ़ तक रेल परिचालन शुरू करने पर है। रीवा से इस परियोजना का कार्य देखने वाले रेल अधिकारियों के अनुसार जनवरी तक गोविंदगढ़ लाइन शुरू करने की कवायद चल रही है। सिंगरौली में अभी कई स्तर पर क्लीयरेंस आदि भी नहीं मिल पाया है। वहीं भूअर्जन आदि की प्रक्रिया भी चल रही है। जिसमें काफी समय लगने की संभावना है।
सीधी से रेल आने में अभी लगेगा काफी समय
वर्ष 1978 में स्वीकृत हुई Lalitpur-Singrauli नई रेल लाइन परियोजना से जुड़े पन्ना, सतना आदि जिलों में कार्य चरणबद्ध तरीके से पूर्ण किए जा रहे हैं। पन्ना, सतना, रीवा तक रेल लाइन बिछाने का काम चल रहा है। छुहिया घाटी में सुरंग निर्माण पूरा हो चुका है। अब गोविंदगढ़ तक लाइन शुरू करनी की कवायद चल रही है। इसके बाद रीवा और सीधी और सीधी से सिंगरौली के बीच रेल लाइन प्रक्रिया को गति दी जाएगी। सीधी-सिंगरौली में भू-अर्जन व मुआवजा वितरण आदि किए जा रहे हैं। एलाइनमेंट परिवर्तन व कुछ गांवों में छूटे हुए रकबों के अर्जन के चलते भू-अर्जन प्रकिया चल रही है। फिलहाल जो गति है उसे देखते हुए सीधी और इसके बाद वहां से सिंगरौली तक रेल आने में पांच वर्ष से ज्यादा का समय भी लग सकता है।
विस्थापितों को नौकरी की कवायद हुई तेज
रेल बोर्ड के एक आदेश के चलते खतरे में पड़ी सिंगरौली व सीधी के रेल लाइन विस्थापितों की नौकरी को लेकर हाल के दिनों में कवायद तेज हुई है। सतना और सीधी-सिंगरौली सांसद द्वारा संसद में इस मुद्दे को उठाकर सरकार व मंत्रालय का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। इसके अलावा रेल मंत्री से मिलकर इस बारे में पहल करने का अनुरोध किया जा रहा है। परियोजना से लाभान्वित संसदीय क्षेत्रों के सांसदों ने गत दिनों रेल मंत्री से मुलाकात कर जिनकी जमीनें अधिग्रहीत की गई हैं उनके रोजगार को लेकर सामूहिक मांग की। उधर, रेल अधिकारी भी नौकरी को लेकर सरकार के गंभीर होने व जल्द ही कुछ होने की बात कहते हैं।
हाईकोर्ट की शरण में पहुंचने लगे विस्थापित
फिलहाल, इसमें हो रही देरी को लेकर कुछ आवेदकों ने हाईकोर्ट की शरण ली है। हाईकोर्ट के अधिवक्ता जितेंद्र तिवारी बताते हैं कि आवेदक की याचिका पर हाईकोर्ट से 90 दिन के अंदर नियमानुसार नौकरी को लेकर प्रक्रिया शुरू करने के बारे में पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर को आदेश जारी किया है। बताया जा रहा कि रेलवे द्वारा सीधी-सिंगरौली के कुछ विस्थापितों के कागजात आदि का सत्यापन कराया गया है।