अब, NCL सिर्फ कोयला उत्खनन ही नहीं बल्कि रेत भी बनायेगा; जानिए कैसे?

By
Last updated:
Follow Us

कोयला प्रोडक्शन में रिकॉर्ड कायम करने वाली कोल इंडिया की सिंगरौली स्थित मिनी रत्न कंपनी एनसीएल ने एक ऐसा काम शुरू किया है, जो आने वाले दिनों में देशभर की कोयला कंपनियों के लिए नजीर बन सकता है।

दरअसल, एनसीएल ने अपनी कोयला खदानों से निकलने वाली ओवी से रेत बनाने का तरीका इजात किया है।

शुक्रवार, 13 जनवरी ओबी से रेत बनाने के प्लांट का शुभारंभ किया गया है। ये प्लांट कंपनी की अमलोरी परियोजना में स्थापित किया गया है और यहां इस प्लांट का शुभारंभ कंपनी के मुखिया सीएमडी भोला सिंह ने किया है। इस मौके पर उन्होंने कहा है कि एनसीएल का यह प्रयास पर्यावरण बेहतरी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है और एनसीएल की व्यावसायिक विविधिकरण की दिशा में इस पहल से वर्षभर गुणवत्ता युक्त रेत उपलब्ध होगी। एनसीएल आने वाले समय में अपनी विभिन्न परियोजनाओं में इस तरह के संयंत्र की स्थापना पर विचार कर रही है। एनसीएल की इस अभिनव पहल से कंपनी स्थानीय हितधारकों व राज्य सरकार सभी को लाभ होगा। सीएमडी एनसीएल ने इस संयंत्र को स्थापित करने में एनसीएल की अमलोरी परियोजना एवं मुख्यालय के अनुसंधान एवं विकास विकास विभाग की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। एनसीएल का अधिभार से रेत निर्माण, भारत सरकार की पर्यावरण संबंधी व वेस्ट टू वेल्थ मिशन से प्रेरित है।

जानिए, ओबी व इससे रेत निर्माण के फायदे के बारे में

एनसीएल की कोयला खदानों से खनन दौरान कोयले के पहले मिट्टी आदि का जो ढेर निकाला जाता है, उसे ओबी (ओवर बर्डेन) कहते हैं। ऐसे में यहां कई वर्षों से संचालित एनसीएल को कोयला खदानों ने ओवी निकाल निकाल इतने बड़े-बड़े पहाड़ खड़े कर दिये है कि ये हमेशा से प्रदूषण से लेकर अन्य प्रकार की समस्याओं का बड़ा कारण भी बने हुये हैं। ऐसे में अब जब कंपनी ने अपने ओबी के पहाड़ों के ढेर को खपाने के साथ-साथ इसे प्राकृति रेत के ऑप्शन के रूप में बनाने की पहल शुरू की है, तो हर प्रकार से फायदेमंद होगा। जिसमें पर्यावरणीय दृष्टि से इसके फायदे और कचरे के भाव वाले ओबी के ढेर का उपयोग प्राकृतिक रेत जैसी खनिज संपदा के रूप में करने के फायदे सबसे अहम हैं।

प्राकृतिक रेत की जगह कर सकते हैं इस रेत का उपयोग

एनसीएल सीएमडी ने कहा है कि सतत एवं दीर्घकालिक विकास को समर्पित एनसीएल के इस कदम से नदियों से प्राकृतिक रेत का दोहन कम होगा एवं मृदा कटाव में कमी आएगी। साथ ही जलीय पारिस्थितिक तंत्र संरक्षण को बल मिलेगा। एनसीएल का यह प्रयास समाज की तरफ कंपनी की नैतिक जिम्मेदारी को प्रतिबिंब भी करता है व कंपनी के प्राकृतिक संसाधनों के अनूकूलतम उपयोग को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता हो दर्शाता है।

रोज 1000 क्यूबिक मीटर रेत का होगा उत्पादन होगा

एनसीएल अपनी कोयला खदानों से निकलने वाली ओबी (ओवर बर्डेन) के द्वारा रेत बनायेगी। कंपनी इस प्लांट के माध्यम प्रति दिन 1000 क्यूबिक मीटर रेत बनाएगी। इसके लिए 1429 क्यूबिक मीटर ओबी का उपयोग किया जाएगा। इस प्रकार एनसीएल सालाना लगभग 3 लाख क्यूबिक मीटर रेत (एम-सैंड) का उत्पादन करेगी।

ई-नीलामी 

जानकारी के अनुसार, एनसीएल ई-नीलामी के द्वारा इस निर्मित रेत को उपलब्ध कराएगी। ई-नीलामी के लिए एनसीएल ने एमएसटीसी लिमिटेड (मेटल स्क्रॅप ट्रेड कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एक मिनीरत्न कंपनी) के साथ एमओयू किया है। इस संयंत्र की स्थापना से रोजगार सृजन होगा व राज्य सरकार को राजस्व मिलेगा।

कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित

शुभारंभ के कार्यक्रम में कंपनी के निदेशक कार्मिक मनीष कुमार, निदेशक वित्त रजनीश नारायण, निदेशक तकनीकी / परियोजना एवं योजना जितेंद्र मलिक, कंपनी के जेसीसी सदस्य, सीएमओएआई के महासचिव, एनसीएल के क्षेत्रीय एवं मुख्यालय के विभागाध्यक्ष, अन्य परियोजना के महाप्रबंधक, अमलोरी के महाप्रबंधक समीप झा, जिला प्रशासन से जिला माइनिंग अधिकारी एके राय, एसडीओ फॉरस्ट एसडी सोनवानी समेत कंपनी के अन्य अधिकारी- कर्मचारी भी उपस्थित रहे।

For Feedback - vindhyaajtak@gmail.com 
Join Our WhatsApp Channel

Leave a Comment

Live TV