होली” विशेष: नहा धोकर राजा आया, आराध्य को गुलाल चढ़ाया

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रचनाकार- ललिता मेश्राम

विधा- बाल साहित्य
ई मेल- laita260374@gmail.com

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नहा धोकर राजा आया,
आराध्य को गुलाल चढ़ाया।

फिर बडो के पांव छुए,
ढेरों उसको आशिश मिले।

बच्चो की टोली कहती आई,
बुरा न मानो होली आई।

चारो ओर टेशु खिले,
फूलो के रंगो से रंगे।

पीले, लाल, गुलाल ले आये,
सबने हर्बल रंग लगाए।

गुब्बारो में भर-भर लाये
पिचकारी से रंग बरसाए।

नाना-नानी दादा-दादी,
पिचकारी से उन्हें भिंगाये।

मां लाकर पकवान खिलाती,
प्यार से रहना हमें सिखाती।

पाठ पढ़ाती भाई-चारा समानता का,
हम सब एक है यह बतलाती।

होली प्रेम मैत्री का त्यौहार,
जीवन में लाती नई बहार।

 

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