मध्यप्रदेश सरकार ने इस वर्ष सिंगरौली जिले से 1 अरब 33 करोड़ 52 लाख रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, ये लक्ष्य मात्र जिले में संचालित 47 शराब की दुकानों के मद्देज़र सरकार ने निर्धारित किया है। लेकिन, मौजूदा स्थितियो में जिले से राजस्व वसूली का ये लक्ष्य सरकार पूरा कर सके, इस पर संकट गहराता जा रहा है।
दरअसल, जिले में शराब की 47 सरकारी दुकाने संचालित हैं। इनमें से ज्यादातर शराब दुकान के लिए उनके पुराने ठेकेदारों ने नवीनीकरण करवा लिया है, जिससे सरकार को करीब 70 प्रतिशत से अधिक का राजस्व मिला है, लेकिन जिले की मात्र 3 शराब दुकानों न तो नवीनीकरण हुआ है और ना ही इनका नया ठेका लेने के लिए कोई ठेकेदार आगे आ रहा है। इससे जाहिर है कि सरकार द्वारा निर्धारित राजस्व के लक्ष्य की प्राप्ति काफी मुश्किल हो जाएगी।
कौन सी हैं शराब की ये 3 दुकाने?
जानकारी के अनुसार, जिले की जो, 3 शराब की सरकारी दुकानें आबकारी विभाग के राजस्व में खतरा बन रही हैं उसमें विंध्यनगर, चटका और नवानगर की शराब दुकान शामिल हैं।
तीसरी बार बुलाया जा रहा टेंडर
इन तीनों शराब दुकानों का टेंडर बार-बार आबकारी विभाग द्वारा किया गया, लेकिन शराब ठेकेदार दुकानों का ठेका लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। तीनो समूहों की शराब दुकानों का टेंडर बुधवार को तीसरी बार खोला गया, लेकिन एक भी ठेकेदार ने टेंडर नहीं डाला है, जिससे तीनों शराब दुकानों का नया ठेका नहीं हो पाया है। तीनों शराब दुकानों का ठेका न होने से आबकारी विभाग फिर से टेंडर बुला रहा है। जानकारों की मानें तो तीनो समूहों की शराब दुकानें इतनी महंगी हैं कि कोई भी ठेकेदार दुकानों का ठेका लेने के लिए आगे नहीं आ रहा है।
कोई टेंडर नहीं लिया तो फिर, बचेंगे 2 ऑप्शन
बताया जा रहा है कि तीसरी बार के भी टेंडर मे अगर इन तीनों शराब की दुकानों को लेने के लिए अगर कोई ठेकेदार आगे नहीं आता है तो फिर सरकार को मज़बूरी में इन तीनों दुकानों का रेट कम करना पड़ेगा या फिर एक ऑप्शन ये भी रहेगा कि विभाग खुद ही दुकानों का संचालन कराए। क्योंकि 31 मार्च को पुराने ठेकेदार का ठेका समाप्त हो जाएगा। हालांकि ठेकेदारों को उम्मीद है कि सरकार दुकानों के दाम कम करेगी।
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