Ministry of coal: कोयला मंत्रालय 6000 करोड़ रुपये खर्च कर कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने की प्लानिंग में; जानिए

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Ministry of coal: कोयला मंत्रालय (Ministry of coal) 6000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ कोयला गैसीकरण (Gasification) परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए व्यापक योजना पर विचार कर रहा है।

कोयला मंत्रालय (ministry of coal) ने वित्त वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन (एमटी) कोयले का गैसीकरण हासिल करने का लक्ष्य रखा है। यह कोयला गैसीकरण (coal gasification) की क्षमता का उपयोग करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस महत्वाकांक्षी प्रस्ताव को पेश करने के साथ कोयला मंत्रालय का लक्ष्य देश की प्रगति को आगे बढ़ाना है। इस प्रस्ताव में उपायों का एक व्यापक श्रृंखला में प्राकृतिक संसाधनों का लाभ उठाना शामिल है और कोयला गैसीकरण की वित्तीय एवं तकनीकी व्यवहार्यता प्रदर्शित करता है। यह पहल अन्य क्षेत्रों को प्रोत्साहन देते हुए देश की भविष्य ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के प्रति प्रतिबद्ध है।

“भारत (India) में गैसीकरण (gasification) प्रौद्योगिकी को अपनाने से कोयला क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी। इससे प्राकृतिक गैस (natural gas), मेथनॉल (methanol), अमोनिया (ammonia) और अन्य आवश्यक उत्पाद के आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी।”

Ministry of coal: कोयला मंत्रालय 6000 करोड़ रुपये खर्च कर कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने की प्लानिंग में; जानिए

यह भारत के आत्मनिर्भर बनने के दृष्टिकोण में योगदान देगा

वर्तमान में, भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए अपनी प्राकृतिक गैस (natural gas) का लगभग 50 प्रतिशत, कुल मेथनॉल खपत का 90 प्रतिशत से अधिक और कुल अमोनिया खपत का लगभग 13-15 प्रतिशत आयात करता है। यह भारत के आत्मनिर्भर बनने के दृष्टिकोण में योगदान देगा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि करेगा। कोयला गैसीकरण के कार्यान्वयन से 2030 तक आयात को कम करके देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने की उम्मीद है। यह पहल कार्बन उत्सर्जन को कम करके और दीर्घकालिक कार्यप्रणालियों को बढ़ावा देकर, हरित भविष्य के प्रति हमारी वैश्विक प्रतिबद्धताओं में योगदान करते हुए पर्यावरणीय बोझ को कम करने की क्षमता रखती है।

मंत्रालय की योजना 6,000 करोड़ रुपये के परिव्यय की

मंत्रालय (ministry of coal) कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के विकास में तेजी लाने के लिए नवीन उपाय अपना रहा है। इस उद्देश्य के अनुरूप, मंत्रालय 6,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) और निजी क्षेत्र दोनों के लिए कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक योजना पर विचार कर रहा है।

बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा

कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण योजना के लिए संस्थाओं का चयन प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। इसके अलावा, सरकार पात्र सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र को कोयला गैसीकरण परियोजनाएं प्रारंभ करने में सक्षम बनाने के लिए बजटीय सहायता प्रदान करने पर विचार कर रही है। इसके अंतर्गत पहले खंड में, सरकार सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों को सहायता प्रदान करेगी। दूसरे खंड में निजी क्षेत्र और सरकारी सार्वजनिक उपक्रम दोनों शामिल हैं, प्रत्येक परियोजना के लिए बजट आवंटन दिया गया है। इस खंड के तहत कम से कम एक परियोजना का चयन टैरिफ-आधारित बोली प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित किया जाएगा, जिसमें नीति आयोग के परामर्श से मानदंड तैयार किए जाएंगे। अंत में, तीसरे खंड में स्वदेशी प्रौद्योगिकी और/अथवा छोटे पैमाने के उत्पाद-आधारित गैसीकरण संयंत्रों का उपयोग करने वाली प्रदर्शन परियोजनाओं के लिए बजटीय सहायता का प्रावधान शामिल है।

इस असमर्थता को दूर करने का उद्देश्य

उपर्युक्त योजना के अलावा, मंत्रालय वाणिज्यिक परिचालन तिथि (सीओडी) के बाद 10 वर्ष की अवधि के लिए गैसीकरण परियोजनाओं में उपयोग किए गए कोयले पर माल और सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा उपकर की प्रतिपूर्ति के लिए प्रोत्साहन पर भी विचार कर रहा है, बशर्ते कि जीएसटी मुआवजा उपकर वित्तीय वर्ष 2027 से आगे बढ़ाया गया है। इस प्रोत्साहन का उद्देश्य संस्थाओं की इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने में असमर्थता को दूर करना है।

ये समझौते हैं शामिल

इसके अलावा, मंत्रालय कोल इंडिया लिमिटेड (coal india limited) कोयला क्षेत्रों में सतही कोयला गैसीकरण (एससीजी) परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में सहयोगात्मक प्रयासों का उल्लेख करता है है। अक्टूबर 2022 में, रणनीतिक द्विपक्षीय समझौते निष्पादित किए गए, जिसमें बीएचईएल और सीआईएल के बीच एक समझौता ज्ञापन साथ ही आईओसीएल, जीएआईएल और सीआईएल के बीच एक समझौता ज्ञापन शामिल है। इन सहयोगों का उद्देश्य एससीजी परियोजनाओं के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने में सहयोग और विशेषज्ञता को बढ़ावा देना है।

परियोजना गतिविधियों की शुरुआत को स्वीकृति

सीआईएल (CIL) बोर्ड ने तीन परियोजनाओं के लिए पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है जिसमें ईसीएल, एमसीएल और डब्ल्यूसीएल शामिल हैं और स्थलाकृति सर्वेक्षण, मिट्टी की जांच और जल उपलब्धता अध्ययन जैसी पूर्व-परियोजना गतिविधियों की शुरुआत को स्वीकृति दे दी है। संबंधित परियोजनाओं के लिए विस्तृत व्यवहार्यता रिपोर्ट (डीएफआर) तैयार करने के लिए आवश्यक निश्चित कीमतों पर पहुंचने के लिए निविदा गतिविधियां भी की जा रही हैं। जैसा कि अवधारणा की गई है, सीआईएल बोर्ड ने संयुक्त उद्यमों के गठन के लिए ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी भी दे दी है। वर्तमान में, संयुक्त उद्यम समझौते पर बातचीत और इसे अंतिम रूप देने का कार्य जारी है।

सार्वजनिक उपक्रमों एवं निजी क्षेत्र को आकर्षित करने

कोयला मंत्रालय (ministry of coal) कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इन परियोजनाओं में कोयले को विभिन्न मूल्यवान उत्पादों में बदलने की अपार संभावनाएं हैं। प्रस्तावित योजना और प्रोत्साहन कोयला गैसीकरण क्षेत्र में नवाचार, निवेश और सतत विकास को बढ़ावा देने, सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों एवं निजी क्षेत्र को आकर्षित करने के लिए तैयार की गई हैं।

 

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