Manipur: मणिपुर (Manipur), जो कि भारत (India) का पूर्वोत्तर राज्य है वह 3 मई 2023 से मैतेई और कुकी समूहों (meitei and cookie clusters) के बीच भड़की खतरनाक हिंसा में पूरा मणिपुर (Manipur) झुलस रहा है और ये क्रम थमने का नाम भी नहीं ले रहा है।

लेकिन, मणिपुर (Manipur) में इस हिंसा वाले दर्दनाक दौर के पहले के सालों के इतिहास (History) को देखेंगे तो मणिपुर (Manipur) से जुड़ी काफी रोचक जानकारियां हैं, जो न सिर्फ आपको पसंद आयेगी। बल्कि सामान्य ज्ञान के तौर पर भी ये आपके लिए काफी उपयोगी रहेगा।

मणिपुर (Manipur) 1819 से 1825 तक, यानी 7 वर्ष तक बर्मी लोगों ने शासन किया था। 24 अप्रैल, 1891 के खोंगजोम युद्ध हुआ, जिसे अंग्रेज-मणिपुरी युद्ध (English-Manipuri war) के नाम से भी जाना जाता है।
मणिपुर का इतिहास

अंग्रेज-मणिपुरी युद्ध (English-Manipuri war) में मणिपुर (Manipur) के वीर सेनानी पाउना ब्रजबासी (Brave fighter Pauna Brajbasi) अपने मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस प्रकार 1891 में मणिपुर (Manipur) ब्रिटिश शासन (British rule) के अधीन आ गया और 1947 में शेष भारत (India) के साथ स्वतंत्र (Independent) हुआ।
ऐसे मणिपुर का भारत मे हुआ था विलय
1947 में जब अंग्रेजों ने मणिपुर (Manipur) छोड़ा तब से मणिपुर (Manipur) का शासन महाराज बोधचन्द्र के कन्धों पर पड़ा। 21 सितम्बर 1949 को हुई विलय संधि के बाद 15 अक्टूबर 1949 से मणिपुर (Manipur) भारत (India) का अंग बना। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्य आयुक्त के अधीन भारतीय संघ में भाग ‘सी’ के राज्य के रूप में शामिल हुआ। बाद में इसके स्थान पर एक प्रादेशिक परिषद गठित की गई जिसमें 30 चयनित तथा दो मनोनीत सदस्य थे।
मणिपुर के बारे में ये भी जानिए
इसके बाद मणिपुर (Manipur) में 1962 में केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम (Union Territories Act) के अंतर्गत 30 चयनित तथा तीन मनोनीत सदस्यों की एक विधानसभा (Assembly) स्थापित की गई। 19 दिसंबर, 1969 से प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त से बढ़ाकर उपराज्यपाल कर दिया गया। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर (Manipur) को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और 60 निर्वाचित सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई। इसमें 19 अनुसूचित जनजाति और 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। राज्य में लोकसभा में दो और राज्यसभा में एक प्रतिनिधि है।
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