Bollywood News: बेहद ज़रूरी स्ट्रांग सोशल मैसेज देती है अक्षय कुमार और पंकज त्रिपाठी की OMG 2 ; दमदार एक्टिंग फ़िल्म की यूएसपी

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Bollywood News: ओएमजी 2 यानी OMG 2 एक पिता की अपने बेटे के हक़ के लिए लड़ने की कहानी है। कांति शरण मुग्दल (Kanti Sharan Mugdal) पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) महाकाल नगरी में रहता है।

वह मंदिर परिसर में पूजा सामग्री बेचने वाली एक दुकान चलाता है। वह अपनी पत्नी इंदुमती (Indumati), बेटे विवेक (आरुष वर्मा) और बेटी दमयंती(Damayanti) के साथ रहता है। उनके जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा होता है, लेकिन एक दिन विवेक को सेक्सुअल टेबलेट (Sexual Tablets) के ओवरडोज़ (Overdoze) के कारण अस्पताल में भर्ती (admit) कराया जाता है। कांति को इसके बारे में पता चलता है और वह सबसे पहले इसे अपनी इंदुमती और दमयंती से छुपाती है। लेकिन जल्द ही, स्कूल के शौचालय में हस्तमैथुन करते हुए उनका एक वीडियो वायरल हो जाता। स्कूल के प्रिंसिपल अटल नाथ माहेश्वरी (Atal Nath Maheshwari)(अरुण गोविल) विवेक को उसके ‘अशोभनीय’ कृत्य के लिए निष्कासित करने का फैसला करते हैं। कांति को सलाह दी जाती है कि वह अपने परिवार के साथ शहर छोड़ कर कुछ दिनों के लिए कहीं दूर चला जाए। सबसे हार मानकर कांति शरण ऐसा ही करता है लेकिन स्टेशन पर कांति को अपने भोले बाबा का दूत, (Akshay Kumar) जिसे भगवान शिवजी (God Shiva) ने अपने भक्त की रक्षा के लिए धरती पर भेजा है, मिलता है और वो उसे सलाह देता है कि उसे अपने बेटे के हक़ के लिए क़ानून का सहारा लेना चाहिए न की ऐसे भागना चाहिए। आगे क्या होता है, इसके लिए पूरी फ़िल्म देखनी होगी।

अमित राय की कहानी शानदार है और आज के समय की मांग भी है । अमित राय की पटकथा मनोरंजक है। उन्होंने फिल्म को भरपूर मनोरंजक और विचारोत्तेजक क्षणों से भर दिया है । साथ ही उन्होंने जिस तरह से यौन शिक्षा के महत्व और दैवीय तत्व को मिक्स (Mixed) किया है, उस पर विश्वास होता नजर आता है । अमित राय के डायलॉग तीखे और तालियां बजाने योग्य हैं।

अक्षय और पंकज की OMG 2  स्ट्रांग सोशल मैसेज देगी 

अमित राय का निर्देशन (Direction) सरल है। उन्होंने कथा को सरल रखा है और वर्जित विषयों पर सहजता से बात की है । जिस तरह से कांति को अपने बेटे की दुर्दशा के बारे में पता चला वह सराहनीय है । फ़्लैशबैक विचार अच्छा काम करता है। जब कोर्टरूम ड्रामा शुरू होता है तो फिल्म जाहिर तौर पर दूसरे स्तर पर चली जाती है। यहां कई दृश्य सामने आते हैं जैसे इंदुमती और दमयंती से कामिनी (यामी गौतम धर) द्वारा पूछताछ (Interrogation) और यौनकर्मी का दृश्य। बहुत सारे मुद्दे बिना उपदेश दिए उठाए जाते हैं। फ़िल्म का अंत काफी प्रभावशाली है। वहीं कमी की बात करें तो, निर्देशक फिल्म को ठीक से प्रस्तुत नहीं कर पाते है। कांति ने इस बारे में कोई एक्शन क्यों नहीं लिया कि विवेक का वीडियो शूट करने वाले बदमाश के खिलाफ स्कूल द्वारा कोई कार्रवाई कैसे नहीं की गई। इसी तरह, प्रतिवादी यह बात भी नहीं उठाते कि हत्या के प्रयास के आरोप में विवेक को लगभग गिरफ्तार (Arrest) करने ही वाले थे। कुछ चीजें समझ के परे लगी। एक्टिंग की बात करें तो पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) बहुत अच्छे से अपना किरदार निभाते हैं। वह अपने एक्ट से मनोरंजन करते हैं और अपने सार्थक मोनोलॉग से प्रभावित भी करते हैं। दुख की बात है कि अक्षय कुमार के पास ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं है। फिर भी, वह एक बड़ी छाप छोड़ते है। वह आकर्षक दिखते हैं और उनका प्रदर्शन अच्छा लगता है। यामी गौतम धर एक सरप्राइज़ के रूप में सामने आती हैं क्योंकि किसी ने उन्हें इस तरह की भूमिका निभाते हुए पहले कभी नहीं देखा गया है। आरुष वर्मा आत्मविश्वासपूर्ण अभिनय करते हैं। अरुण गोविल भरोसेमंद है। यही बात गोविंद नामदेव (पुजारी) और बृजेंद्र काला (डॉ. गगन मालवीय) के लिए भी लागू होती है। पवन मल्होत्रा (जज पुरूषोत्तम नागर) फिल्म का एक और सरप्राइज़ हैं। डॉ बी डी शाह, मेडिकल दुकान के मालिक और प्राणलाल मुथो का किरदार निभाने वाले कलाकार भी अच्छे हैं।

 

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