Lord Vishnu: अधिकमास (Adhikamas) के आखिरी पांच दिन व्रत-पर्व वाले होंगे। जो कि अधिकमास (Adhikamas) की एकादशी (Ekadashi) से अमावस्या तक रहेंगे।
जानकारों का मानना है कि जो लोग पूरे अधिकमास (Adhikamas) में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा, व्रत या दान नहीं कर पाएं वो इन आखिरी दिनों में भगवान की आराधना से पूरे महीने का पुण्य पा सकते हैं। शनिवार को पुरुषोत्तम महीने की एकादशी और द्वादशी दोनों तिथियां रहेंगी। जिससे ये दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा का महापर्व हो जाएगा। रविवार को त्रयोदशी तिथि होने से रवि प्रदोष के संयोग में भगवान शिव-पार्वती (Lord Shiva-Parvati) की पूजा हर दोष दूर करने वाली रहेगी।
इसके बाद सावन का सोमवार और उसके बाद मंगला गौरी व्रत होगा। इन दोनों ही दिनों में भगवान शिव-पार्वती (Lord Shiva-Parvati) की विशेष पूजा की जाएगी। वहीं, बुधवार को पितरों के श्राद्ध के लिए पुण्य तिथि यानी अमावस्या रहेगी।
13 अगस्त, रविवार: प्रदोष व्रत
अधिकमास (Adhikamas) के सावन महीने में भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। इस महीने की त्रयोदशी तिथि यानी प्रदोष के दिन व्रत रखते हुए शाम को की गई भगवान शिव पार्वती (Lord Shiva-Parvati) की पूजा हर तरह के पाप का नाश करने वाली मानी गई है। रवि प्रदोष की शाम को दीपदान करने से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र बढ़ती है।
14-15 अगस्त, सोमवार और मंगलवार
अधिकमास (Adhikamas) के सावन सोमवार (Sawan Monday) को मासिक शिवरात्रि (Monthly Shivratri) का संयोग भी बन रहा है। इस शुभ योग में शिवजी का अभिषेक और विशेष पूजा करने से रोग के साथ ही हर तरह की परेशानियां दूर होती है। वहीं, मंगलवार गौरी पूजा के लिए विशेष दिन रहेगा। इस दिन मंगला गौरी व्रत किया जाएगा। इस तरह ये दो दिन भगवान शिव-पार्वती (Lord Shiva-Parvati) को समर्पित होंगे।
16 अगस्त, बुधवार: अमावस्या
इस दिन अमावस्या होने से पितृ पूजा का खास योग बन रहा है। पुराणों में कहा गया है कि अधिकमास (Adhikamas) में किया गया श्राद्ध और तर्पण पितरों को संतुष्ट करता है। इस पवित्र महीने में अमावस्या का संयोग होने से किए गए श्राद्ध और दान से पितरों को तृप्ति मिलेगी। इसी दिन अधिकमास (Adhikamas) भी खत्म हो जाएगा।
ये भी पढ़िए- Lord Vishnu: महाभारत काल से चला आ रहा है परम एकादशी व्रत; जानिए महत्व और कब है ये व्रत